
भोपाल मेट्रो परियोजना, जिसे राजधानी के यातायात को स्मार्ट और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से सात साल पहले शुरू किया गया था, आज भी ट्रैक पर नहीं उतर सकी है। वर्ष 2018 में केंद्र से डीपीआर को स्वीकृति और 2019 में निर्माण कार्य शुरू होने के बावजूद अब तक केवल 7.5 किमी रूट भी तैयार नहीं हो पाया है।
भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट सात साल में भी ट्रैक पर नहीं आ पाया है। भोपाल मेट्रो की डीपीआर स्वीकृत होने के सात साल बाद भी 7 किलोमीटर रूट तैयार नहीं हो सका, जबकि नागपुर में मात्र 33 महीनों में 6 किलोमीटर मेट्रो का संचालन शुरू हो गया था। यह स्थिति तब है जबकि मध्य प्रदेश रेल मेट्रो कॉरपोरेशन के 12 एमडी बदल चुके हैं। अधिकारियों के उदासीन और लचर रवैए के कारण अब तक भोपाल मेट्रो का संचालन शुरू ही नहीं हो पाया है। एम्स से सुभाष नगर तक के 7.5 किमी मेट्रो रूट निर्माण का काम वर्ष 2018 में डीपीआर स्वीकृति के बाद 2019 में शुरू हो गया था।
इसके बाद से राजधानी भोपाल में मेट्रो प्रोजेक्ट का काम धीमी चाल से रहा है। सात साल में अब तक करीब सात किमी का ट्रैक भी तैयार नहीं हो पाया है। इसकी रफ्तार का अंदाजा इससे लगा सकते है कि भोपाल और नागपुर मेट्रो को एक साथ 2011 में मंजूरी मिली थी। नागपुर में काम शुरू होने के 33 माह में करीब 6 किमी के रूट पर मेट्रो का संचालन शुरू हो गया था, लेकिन भोपाल में सात साल बाद भी अभी सात किमी का ट्रैक ही तैयार नहीं हुआ है। इसका कारण प्रशासनिक उदासीनता और जमीनी अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी है।
हालांकि, मेट्रो रेल कॉरपोरेशन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि भोपाल में मेट्रो के काम में कोरोना, नेतृत्व में बदलाव, भूमि विवाद समेत कई तरीके की बाधाएं सामने आई, जिसके कारण काम की तरफ्तार धीमी हुई। अब अगस्त-सितंबर तक भोपाल में भी मेट्रो का कमर्शियल रन शुरू करने का लक्ष्य तय किया गया है।
वहीं, इस मामले में मेट्रो रेल कॉपरेशन का पक्ष जानने के लिए डायरेक्ट सिस्टम सोभित टंडन और प्रभारी एमडी संकेत भोंडवे से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
तीन स्टेशनों को जोड़ने से कमर्शियल रन टला
प्रारंभ में, रानी कमलापति से सुभाष नगर तक के 6.2 किमी प्राथमिकता गलियारे में छह स्टेशनों की योजना थी। इसके लिए अक्टूबर 2023 में ट्रायल रन भी शुरू कर दिया गया था। इसके बाद में, इसमें तीन और स्टेशनों एम्स, डीआरएम चौराहा और अलकापुरी को जोड़ ट्रेक को 7.5 किमी किया गया। जहां रेलवे ट्रेक पर ब्रिज रखने में काफी लंबा समय लगा, जिससे निर्माण कार्य में देरी हुई।
नेतृत्व में बार-बार बदलाव
मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एमपीएमआरसीएल) के प्रबंधन में बार-बार बदलाव से परियोजना की निरंतरता प्रभावित हुई है। इससे निर्णय लेने में देरी और कार्यान्वयन में बाधाएं उत्पन्न हुई हैं। जुलाई 2015 में सबसे पहले गुलशन बामरा को कॉर्पाेरशन का एमडी बनाया गया। दो माह बाद ही उनको हटाकर विवेक अग्रवाल को जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद प्रमोद अग्रवाल, संजय दुबे, नितेश कुमार व्यास, मनीष सिंह, छवि भारद्वाज, निकुंज कुमार श्रीवास्तव, मनीष सिंह, नीरज मंडलोई, सीबी चक्रवर्ती एम को बनाया गया। अभी एस कृष्ण चैतन्य अब तक कॉरपोरेशन के एमडी है।
यह भी बना लेटलतीफी का कारण
कुछ क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण से संबंधित विवाद और कानूनी चुनौतियों के कारण निर्माण कार्य में बाधाएं आई हैं। पुष्ठा मिल की भूमि पर स्वामित्व विवाद ने परियोजना की प्रगति को धीमा कर दिया है। वहीं, परियोजना की धीमी रफ्तार का कारण वित्तीय साधनों की कमी भी एक कारण बनी बनी। जिससे निर्माण कार्य की गति प्रभावित हुई है।
भोपाल मेट्रो का प्रथम चरण- दो लाइन और 28 स्टेशन, परियोजना की लागत- 6941 करोड़ रुपये
ऑरेंज लाइन- करोंद चौराहा से एम्स भोपाल तक। 14.99 किमी में 16 स्टेशन।
ब्लू लाइन- भदभदा चौराह से रत्नागिरी तिराहा तक। 12.91 किमी 13 स्टेशन।
कब क्या हुआ –
अक्टूबर 2018- डीपीआर को केंद्र की मंजूरी।
नवंबर 2018- टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू।
दिसंबर 2018- मृदा परीक्षण शुरू।
जनवरी 2019- सुभाष नगर से एम्स के बीच एलिवेटेड वायडक्ट का निर्माण कार्य शुरू।
अगस्त 2019- मेट्रो का संचालन 2023 तक करने की घेाषणा।
सितंबर 2019- कमलनाथ ने मेट्रो प्रोजेक्ट का नाम बदलकर भोज मेट्रो किया।
अगस्त 2021- आठ स्टेशनों के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू।
मार्च 2022- मेट्रो डिपो के निर्माण का ठेका अलॉट किया।
मई 2023- ऑरेंज लाइन पर रेलवे ओवरब्रिज निर्माण की मंजूरी मिली।
अक्टूबर 2023- सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन के बीच ट्रायल रन किया।
दिसंबर 2023: प्राथमिकता वाले गलियारे पर ट्रैक बिछाने का काम पूरा