
मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों भोपाल और इंदौर के लिए नया मास्टर प्लान का ड्रॉफ्ट तैयार हो गया है, जिसे जल्द ही जनता की दावे-आपत्ति के लिए प्रकाशित किया जाएगा।
मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर के मास्टर प्लान की ड्रॉफ्ट रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। यह रिपोर्ट मार्च महीने के अंत तक जारी करने का एलान नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा किया गया था। अब विभाग के अधिकारी जनता के दावे-आपत्ति मंगाने के लिए इसे जल्द ही प्रकाशित करेंगे। इंदौर का मास्टर प्लान ड्रॉफ्ट पहले जारी किया जाएगा, उसके बाद भोपाल का ड्रॉफ्ट प्रकाशित किया जाएगा।
इस नए मास्टर प्लान में शहरों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें सड़क निर्माण और हरियाली के अलावा अब विभिन्न वाणिज्यिक और सार्वजनिक सुविधाओं के लिए जोनिंग का भी प्रावधान किया गया है। मास्टर प्लान के तहत कॉलोनियों में चौड़ी सड़कों के साथ हाइराइज बिल्डिंग्स, मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और आईटी हब जैसी सुविधाएं भी होंगी। इन बदलावों से शहरवासियों को बेहतर आवागमन और रोजगार की सुविधाएं मिल सकेंगी।
मास्टर प्लान का मुख्य उद्देश्य रोजगार आधारित विकास करना है, जिसमें नॉन-पॉल्यूटेड इंडस्ट्री और मल्टी-स्टोरी इंडस्ट्री के लिए जगह मिलेगी। कॉलोनियों में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पौधरोपण और ओपन स्पेस को महत्व दिया जाएगा। इसके साथ ही, जोन आधारित विकास के तहत नॉलेज जोन, आईटी जोन और मैकेनिकल मार्केट जैसे क्षेत्रों की पहचान की गई है। जल्द ही यह ड्रॉफ्ट रिपोर्ट दावे-आपत्ति के लिए प्रकाशित की जाएगी और लोगों से सुझाव लिए जाएंगे, ताकि मास्टर प्लान को और अधिक प्रभावी और लाभकारी बनाया जा सके।
19 साल से अटका है मास्टर प्लान
भोपाल का मास्टर प्लान 19 साल से अटका हुआ है। इस बीच चार बार भोपाल के मास्टर प्लान का प्रारूप जारी हो चुका है, लेकिन लागू होने के पहले ही कई बाधाएं सामने आ जाती हैं। ऐसे में बिना मास्टर प्लान के शहर का विकास हो रहा है। इससे आने वाले समय में जनता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, भोपाल का मास्टर प्लान 1995 में लागू हुआ था, जिसकी समय अवधि दिसंबर 2005 में समाप्त हो गई है। प्लान के लागू होने के समय शहर की आबादी 15 लाख के आसपास थी। ऐसे में उस समय के प्लान के अनुसार ही शहर में विकास हो रहा है।