
UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश ने कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है’ और पाकिस्तान को अपने गैरकानूनी कब्जे वाले इलाकों में जारी गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है कि वह अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में जारी मानवाधिकार उल्लंघन और सैन्य अत्याचारों को तुरंत बंद करे. भारत ने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र जैसी अवधारणा ‘विदेशी’ है, जबकि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत के लोकतांत्रिक और संवैधानिक ढांचे के तहत अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं.
भारत का पाकिस्तान को सख्त संदेश
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथनेनी हरीश ने शुक्रवार को UN सुरक्षा परिषद (UNSC) की खुली बहस में यह बयान दिया. उन्होंने स्पष्ट कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है’ और पाकिस्तान को अपने गैरकानूनी कब्जे वाले इलाकों में जारी गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकना चाहिए.
हरीश ने कहा, ‘हम पाकिस्तान से आग्रह करते हैं कि वह अपने कब्जे वाले इलाकों में हो रहे मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों को समाप्त करे. वहां के लोग लंबे समय से सैन्य दमन, कब्जे और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.’
‘लोकतंत्र पाकिस्तान के लिए एक अजनबी विचार’
हरीश ने पाकिस्तान पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत के संवैधानिक और लोकतांत्रिक परंपराओं के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ‘ये अवधारणाएं पाकिस्तान के लिए बिल्कुल अनजानी हैं.’
संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग
भारतीय प्रतिनिधि ने अपने बयान में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधारों की भी मांग की. उन्होंने कहा कि 80 साल पुराना यह ढांचा अब वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों को नहीं दर्शाता. हरीश ने कहा, ‘आज का विश्व 1945 की तरह नहीं है. सुरक्षा परिषद की मौजूदा संरचना अब 2025 की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं है.’
ग्लोबल साउथ को मिले अधिक प्रतिनिधित्व
हरीश ने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) की आवाज को वैश्विक निर्णय-प्रक्रिया में अधिक महत्व दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुधारों में देरी करना विकासशील देशों के नागरिकों के साथ अन्याय है. उन्होंने बताया कि इन देशों के सामने विकास, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय संकट जैसी चुनौतियां हैं, इसलिए निर्णय प्रक्रिया को अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी बनाना जरूरी है.
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना से दिया संदेश
हरीश ने भारत की प्राचीन विचारधारा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (सारा संसार एक परिवार है) का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी देशों को एकजुट होकर काम करना चाहिए ताकि संयुक्त राष्ट्र एक नई दुनिया की जरूरतों के अनुसार खुद को ढाल सके.



