
पुरी के श्री गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ में तीन लोगों की मौत और 50 अन्य के घायल होने के एक दिन बाद सोमवार (30 जून 2025) को हजारों श्रद्धालु भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़ पड़े. 1800 के दशक के दौरान देश पर राज करने वाले अंग्रेज महाप्रभु जगन्नाथ को सिर्फ भगवान के रूप में नहीं देखते थे, बल्कि वे उन्हें एक शक्ति के रूप में देखते हैं.
ब्रिटिश अधिकारी ने लिखी डायरी में किया खुलासा
अंग्रेज भगवान जगन्नाथ से डरते थे. मंदिर में आने वाले लाखों लोगों की भीड़ से अंग्रेज भयभीत रहते थे. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रणविजय सिंह ने एक्स पर ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़ी घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे अंग्रेजों ने मंदिर के रहस्यों का पता लगाने के लिए जासूसी की थी. हालांकि बाद में वे डर गए और पीछे हट गए. तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारी लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग ने अपनी डायरी में इस बात का जिक्र किया है.
अंग्रेजों ने मंदिर की जासूसी कराने के लिए भेजे अधिकारी
अंग्रेजों की नजर में पुरी सिर्फ एक मंदिर नगरी नहीं, बल्कि लोगों के ऊर्जा का केंद्र था. यहां कोई भी औपनिवेशिक कानून का पालन नहीं होता था. अंग्रेज अक्सर तीर्थयात्रियों के वेश में अपने एजेंट को मंदिर भेजा करते थे. उनका लक्ष्य खुफिया जानकारी जुटाना, नक्शे बनाना और मंदिर के रहस्यों का पता करना था. जब स्थानीय लोगों को इस बारे में पता चला तो इसका जमकर विरोध हुआ.
लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग ने एक गुप्त डायरी लिखी थी, जिसमें उन्होंने मूर्ति की आंखों, गर्भगृह के पास के सन्नाटे और जगन्नाथ के जीवित होने के बारे में लिखा था. उन्होंने स्टर्लिंग ने लिखा, लोग जिस तरह से लोग भगवान जगन्नाथ के बारे में बात करते हैं जो बेचैन करने वाला है. ऐसा लग रहा है मानो वह एक जीवित मूर्ति है और सांस ले रहा है.” स्टर्लिंग मंदिर के भीतर जासूसी करने के लिए गया था, लेकिन अंदर जाते ही उसके भीतर खौफ भर गया था. बताया जा रहा है कि यहां जासूसी के दौरान एक अधिकारी पागल हो गया तो दूसरे को बुखार आ गया.
किस रहस्य की जानकारी चाहते थे अंग्रेज
अंग्रेज भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर मौजूद ब्रह्म तत्व के रहस्य को जानने के लिए उत्सुक थे. ऐसी मान्यता है कि मूर्ति के अंदर यह तत्व मौजूद है जो उनका धड़कता हुआ दिल है. कुछ इसे अंतरिक्ष से आया अवशेष मानते हैं. हालत ये हो गई कि अंग्रेज सैनिक और अफसर गर्भगृह में जाने से कतराने लगे.
लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग की डायरी गायब हो गई. हालांकि यह कहा जाता है कि लंदन के एक संग्राहलय में उनके किताब की एक कॉपी मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि इसमें अंग्रेजों के खिलाफ कई बातें लिखी हुई है, जिस वजह से इसे आज भी सीलबंद करके रखा गया है. अंग्रेज को इस बात का डर था कि इस मंदिर की अपार लोकप्रियता से उसके शासन पर खतरा आ सकता है.
साल 1803 में ओडिशा पर कब्जा करने के बाद अंग्रेजों ने जगन्नाथ मंदिर के प्रशासन पर नियंत्रण करने की कोशिश की. स्थानीय पुजारियों और भक्तों के कड़े विरोध के बाद उन्हें पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा. इस घटना के बाद अंग्रेजों को यह समझ में आ गया कि मंदिर के विशाल धार्मिक और सामाजिक प्रभाव को दबाना आसान नहीं था.