राजस्थान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत दिया जाने वाला गरीबों के हक का 2 रुपये किलो वाला गेहूं सरकारी बाबू उड़ा गए। आधार नंबर से जांच में खुलासा हुआ तो अब सरकार ने वसूली शुरू कर दी है। इतना ही नहीं बाबुओं ने जो गेहूं 2 रुपये किलो की दर से उठाया था अब उसके लिए सरकार उनसे 27 रुपए प्रतिकिलो की वसूली कर रही है।
प्रदेश में खाद्य सुरक्षा योजना के तहत एक बड़ा घोटाला सामने आया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में गरीबों को दिया जाने वाला 2 रुपये किलो वाला गेहूं सरकारी कर्मचारियों ने डकार लिया। जांच हुई तो पता चला कि प्रदेश के 83 हजार 679 सरकारी कर्मचारी इस योजना के तहत लाखों रुपयों का गेहूं खा चुके हैं। हालांकि आधार मिलान के दौरान सरकार ने समय रहते यह गड़बड़ पकड़ ली और अब इनसे 27 रुपये प्रतिकिलो की दर से गेहूं की कीमत वसूली जा रही है।
खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने बताया कि अब तक इनमें से 67 हजार 297 कर्मचारियों से 82 करोड़ 66 लाख 65 हजार 624 रुपये वसूल किए गए हैं। शेष बचे कर्मचारियों से वसूली की प्रक्रिया अभी चल रही है और ऐसी गड़बड़ी फिर से ना हो, इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना जब लागू की गई थी, तब इस योजना के तहत आने वाले करीब एक करोड़ परिवारों को दो रुपये किलो में गेहूं और चावल उपलब्ध कराया जा रहा था। कोरोना के बाद मौजूदा केन्द्र सरकार ने इस दो रुपये की वसूली भी बंद कर दी और अब इन परिवारों को नि:शुल्क गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है।
सबसे ज्यादा मामले दौसा के
इस वर्ष तीस अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के कुल 83 हजार 679 सरकारी कर्मचाारियों ने गरीबों के हक के गेहूं पर डाका डाला था। इनमें सबसे ज्यादा 7702 कर्मचारी दौसा जिले के थे, वहीं सबसे कम 314 कर्मचारी जिला रसद अधिकारी जयपुर प्रथम के क्षेत्राधिकार वाले थे। राज्य सरकार अब इनसे 27.50 रुपये प्रति किलो की दर से वसूली कर रही है।