
देहरादून के पुरुकुल-किमाड़ी गांव के बीच दो नई सड़कों के निर्माण को लेकर पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अंग्रेजी अनुवादित रिपोर्ट पेश करने को कहा है. हरादून के पुरुकुल-किमाड़ी गांव के बीच दो नई सड़कों के निर्माण और इससे पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने वन विभाग और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की ओर से रिपोर्ट अंग्रेजी में प्रस्तुत न किए जाने पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने दोनों विभागों के अधिकारियों को अगली सुनवाई में अंग्रेजी अनुवादित रिपोर्ट के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी.
हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता और संबंधित विभागों को 1 मार्च को विवादित सड़क का संयुक्त निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. हालांकि, वन विभाग और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने रिपोर्ट तो प्रस्तुत की, लेकिन वह अंग्रेजी में अनुवादित नहीं थी. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए मसूरी के डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के मुख्य अभियंता को अगली सुनवाई में अंग्रेजी अनुवाद के साथ रिपोर्ट जमा करने को कहा है.
सड़क निर्माण से पर्यावरण को नुकसान- याचिकाकर्ता
‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून इलेवन’ नामक पर्यावरण संरक्षण संगठन ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि देहरादून और मसूरी के बीच स्थित पुरुकुल और किमाड़ी गांव पहले से ही सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं. इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत इन गांवों के लिए एक और नई सड़क बना दी.
याचिका में कहा गया है कि इस सड़क के निर्माण से पर्यावरण को गंभीर क्षति हुई है. सड़क के कटान से निकला मलबा नीचे फेंक दिया गया, जिससे प्राकृतिक जल स्रोत बंद हो गए और पेड़-पौधों को भारी नुकसान हुआ. संगठन के अनुसार, पीएमजीएसवाई योजना के तहत केवल उन्हीं गांवों को सड़क से जोड़ा जाता है, जहां पहले से सड़क नहीं होती. लेकिन इस मामले में पहले से सड़कों की उपलब्धता के बावजूद नई सड़क बना दी गई, जिससे क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित हुआ है.
अगली सुनवाई में अनूदित रिपोर्ट के साथ उपस्थित हो- कोर्ट
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि नई सड़क के कारण न केवल जैव विविधता को नुकसान हुआ है, बल्कि इससे मिट्टी का कटाव भी बढ़ा है. उन्होंने अदालत से मांग की है कि इस सड़क के निर्माण की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए. हाईकोर्ट ने डीएफओ और मुख्य अभियंता को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अगली सुनवाई में अंग्रेजी में अनूदित रिपोर्ट के साथ उपस्थित हों. 20 मार्च को होने वाली सुनवाई में इस मामले पर विस्तृत चर्चा होगी और पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर कोर्ट का रुख स्पष्ट होगा.