पूर्व MLC सुनील सिंह की सदस्यता होगी वापस?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अशोभनीय व्यवहार करने और उनकी नकल उतारने के लिए विधान परिषद से निष्कासित RJD नेता सुनील सिंह सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे। कोर्ट ने सुनील सिंह की याचिका पर विधान परिषद अध्यक्ष कार्यालय को नोटिस जारी किया। पिछले महीने आचार समिति की सिफारिश पर सुनील सिंह की सदस्यता रद्द हुई थी।

राजद (RJD)के पूर्व विधान पार्षद सुनील सिंह (Sunil Singh) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से अशोभनीय व्यवहार करने और उनकी नकल उतारने के आरोप में सुनील सिंह की विधान परिषद (Mlc) से सदस्यता चली गई थी। राजद ने आरोप लगाया था कि नीतीश सरकार संसदीय परंपरा का उल्लंघन कर रही है।

सुनील सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विधान परिषद कार्यालय को नोटिस जारी किया है। बता दें कि पिछले महीने (जुलाई) में विधान परिषद की आचार समिति की सिफारिश पर सुनील सिंह की सदस्यता रद्द हुई थी।

सदन में मुख्यमंत्री के अपमान का आरोप
राजद एमएलसी सुनील सिंह पर बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर मिमिक्री कर मजाक उड़ाना भारी पड़ गया। मामला बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद के समय नीतीश कुमार के साथ सदन में दुर्व्यवहार से जुड़ा था।

इस मामले की जांच के लिए समिति बनाई गई थी। भीष्म समिति की मांग पर जांच समिति गठित की गई थी। मामले से जुड़े वीडियो की जांच में आरोप सही पाए गए थे। इसके बाद आचार समिति की कार्रवाई के बाद सुनील सिंह को विधान पार्षद से हाथ धोना पड़ा।

सुनील सिंह की सदस्यता गंवाने के पीछे दो लोग?
राजद ने आरोप लगाया था कि सुनील सिंह की सदस्यता गंवाने के पीछे दो लोगों का हाथ है। राजद ने कहा कि दो लोगों ने लोकसभा के टिकट और उप-सभापति की कुर्सी पाने के लिए यह पटकथा बहुत पहले ही लिख दी थी। इसका पुरस्कार भी दोनों को मिल गया है। हालांकि, आरजेडी ने नाम का खुलासा नहीं किया।

राजद कहा कि ज्यादा से ज्यादा सजा ये होनी चाहिए था कि पीठासीन पदाधिकारी इस मामले की भर्त्सना करवाकर मामले पर चर्चा करवा लेते लेकिन यहां तो सफाई रखने तक का मौका नहीं दिया गया। सुनील सिंह ने आचार समिति के सभापति से लिखित में मांगा था कि उनका दोष क्या है और उन्हें किस मामले में दंडित किया जा रहा है, लेकिन उसका कोई भी साक्ष्य, तथ्य या सबूत नहीं दिया गया।

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