पाकिस्तान ने ईरान की पीठ में घोंपा छुरा! पहले अमेरिका के हमले की निंदा की और अब US जनरल को दिया ‘निशान-ए-इम्तियाज़’ सम्मान

 इजरायली हमले में ईरानी सेना चीफ समेत कई नेताओं की मौत हुई थी. आरोप लगा कि PAK ने ही उनकी लोकेशन US को दी. अब उसने US के जनरल को दूसरा सबसे बड़ा सम्मान दिया है. पाकिस्तान की विदेश नीति में किस हद तक दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं और वह किस तरह अपने पड़ोसी देश ईरान को लगातार कूटनीतिक धोखा दे रहा है, इसका एक बड़ा उदाहरण शनिवार को सामने आया जब पाकिस्तान की सरकार ने देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज़ (मिलिट्री)’ अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल ई. कुरिल्ला को दिया. 

यह सम्मान इस्लामाबाद स्थित राष्ट्रपति भवन ऐवान-ए-सदर में आयोजित एक विशेष समारोह में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमांड के प्रमुख को दिया, जिसमें पाकिस्तान के सभी शीर्ष नेता और सैन्य अधिकारी मौजूद थे. जनरल कुरिल्ला को पाकिस्तान द्वारा अपने देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने पर इसलिए पाकिस्तान की कूटनीति पर सवाल उठ रहे है और इसे ईरान के साथ कूटनीतिक धोखा कहा जा रहा है.

ईरान की पीठ पर पाकिस्तानी छुरा

पिछले महीने ही जब अमेरिकी सेना ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया था तो पाकिस्तान ने ख़ुद को ईरान के साथ खड़ा दिखाकर अमेरिकी हमले का विरोध किया था और निंदा की थी, लेकिन अब 1 महीने बाद ही इसी पाकिस्तान ने अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमांड के प्रमुख जनरल कुरिल्ला को अपने देश का दूसरा सर्वोच्च सम्मान दे दिया जिसने ना सिर्फ ईरान पर हुए हमलों की कमान संभाली थी बल्कि ईरान पर हुए हमलों में योजना तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाई थी.
 पाकिस्तान ने जनरल कुरिल्ला को क्यों दिया ये सम्मान?

पाकिस्तानी सेना की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया कि पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमांड के प्रमुख जनरल कुरिल्ला को इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि जनरल कुरिल्ला ने पाकिस्तान और अमेरिका के बीच लंबे समय से चले आ रहे रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका निभाई. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने और रणनीतिक रक्षा संबंधों को मजबूत करने में भी योगदान दिया. पाकिस्तानी सेना ने अपने बयान में कहा कि जनरल कुरिल्ला के नेतृत्व ने पाकिस्तान की सेना और यूएस सेंट्रल कमांड के बीच आपसी समझ, संयुक्त संचालन और खुफिया साझेदारी को विस्तार दिया. जिस तरह से पाकिस्तानी सेना ने जनरल कुरिल्ला को सम्मान देने के पीछे एक वजह पाकिस्तान और अमेरिका की खुफिया साझेदारी का विस्तार भी बताया है ऐसे में इस पर सवाल भी खड़े हो सकते है क्योंकि 22 जून को जब अमेरिकी सेना ने ईरान पर हमला किया था तब पाकिस्तान का फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अमेरिका में था और हमले के बाद से ही पाकिस्तान पर लगातार आरोप लग रहे थे कि पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अमेरिका के साथ ईरान के परमाणु संयंत्रों की उस वक्त की स्थिति की ख़ुफ़िया जानकारी साझा की थी. 

इसके अलावा 13 जून को इजरायली हमले में ईरान के सेना प्रमुख सहित कई शीर्ष नेताओं की भी मौत हुई थी. उस दौरान भी यही आरोप लगा था कि ईरान के तत्कालीन सेना प्रमुख अली शादेमानी की खुफिया लोकेशन भी पाकिस्तान ने ही अमेरिकी सेना के केंद्रीय कमांड के साथ साझा की थी, जिसे फिर अमेरिका ने इजरायल के साथ शेयर किया.

ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमलों के मुख्य सूत्रधार थे कुरिल्ला 

बताते चलें कि अमेरिका की केंद्रीय कमांड के प्रमुख जनरल माइकल ई. कुरिल्ला ईरान के परमाणु संयंत्रों पर इजरायल द्वारा किए गए हमलों की भी निगरानी में शामिल थे और बताया जाता है की जब इजरायल ईरान के परमाणु संयंत्रों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों पर हमले की योजना तैयार कर रहा था, तब भी जनरल कुरीला अहम भूमिका निभा रहे थे. साथ ही 22 जून 2025 को अमेरिका के “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” में ईरान के फोर्दो, नतांज़ और इस्फहान परमाणु ठिकानों पर हुए अमेरिकी-इजरायली हमलों की योजना और निगरानी में ना सिर्फ़ जनरल कुरीला की सीधी भूमिका थी बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को हमला करने के लिए सैन्य विकल्प देने से लेकर ऑपरेशन के क्रियान्वयन तक, कुरिल्ला ने ही प्रमुख भूमिका निभायी थी और हमलों के बाद जनरल कुरिल्ला ने इजरायल के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ मिलकर ईरान पर हमले पर जॉइंट असेसमेंट बैठकें भी कीं थी.

ईरान के साथ पाकिस्तान का बड़ा धोखा

ऐसे में एक तरफ अमेरिकी हमलों की निंदा करना और फिर हमले की योजना तैयार करने वाले अमेरिकी सैन्य अधिकारी को 1 महीने के भीतर देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान देना पाकिस्तान के ना सिर्फ दोहरे कूटनीतिक चेहरे को दर्शाता है बल्कि ईरान को धोखा देने के आरोपों को भी मजबूत करता है. वैसे पाकिस्तानी सेना के कई रिटायर्ड अधिकारी भी ना सिर्फ जनरल कुरिल्ला को “निशान-ए-इम्तियाज़ (मिलिट्री)” दिए जाने पर सवाल उठा रहे है बल्कि उनके मुताबिक यह सम्मान पाकिस्तानी सरकार ने सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के दबाव में दिया जो पाकिस्तान में समानांतर सत्ता चला रहा है.

अमेरिकी सेना के केंद्रीय कमांड के प्रमुख जनरल कुरिल्ला को दूसरा सर्वोच्च सम्मान देने के अलावा पाकिस्तान ने उन्हें अपनी तीनों सेनाओं का गार्ड ऑफ़ ऑनर भी पाकिस्तान पहुंचने पर दिया और पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने जनरल कुरिल्ला के साथ मुलाक़ात भी की. 

ऐसे में अब सवाल उठना लाज़मी है कि जहां एक तरफ पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय अमेरिकी हमलों में खुद को ईरान के साथ खड़ा दिखाता है, OIC जैसे इस्लामिक देशों के समूह में मुस्लिम देशों की एकता की बातें करता है, लेकिन एक महीने के भीतर ही उस अधिकारी को सम्मानित करता है जिसने उसके कथित साझेदार पड़ोसी मुस्लिम मुल्क ईरान पर हमले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 

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