मोटर एक्सीडेंट क्लेम को लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के अनुसार कोई भी बीमा कंपनी मृतक की पेंशन और अन्य आय के साधनों में कटौती नहीं कर सकती है।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बेहद अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि वाहन दुर्घटना मुआवजे में से पेंशन, खेती, ग्रेच्युटी, बीमा आदि से मिलने वाले लाभ की कटौती नहीं की जा सकती है। हाईकोर्ट ने मोहाली निवासी किसान की मौत के मामले में मुआवजा राशि में 13 लाख 35 हजार 356 रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे एक लाख 75 हजार रुपये से बढ़ाकर 15 लाख 10 हजार 356 रुपये करते हुए यह आदेश जारी किया है।
याचिका दाखिल कर मृतक की पत्नी गुरमीत कौर और उसके बेटों ने वाहन दुर्घटना मुआवजे के लिए गुहार लगाई थी। याचिका में बताया गया कि निक्का सिंह की 27 जुलाई, 2015 को मोहाली में वाहन हादसे में मौत हो गई थी। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल मोहाली में उन्होंने 70 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की थी। ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि मृतक की दो सरकारी नौकरियों की पेंशन 18955 रुपये प्रति माह है, जो फैमिली पेंशन के रूप में पत्नी को चली जाएगी।
याची के पति की खेती से आय का नुकसान नहीं माना जा सकता, क्योंकि भूमि आश्रितों को चली जाएगी। ऐसे में अंतिम संस्कार व अन्य मदों में केवल एक लाख 75 हजार रुपये मुआवजा तय किया गया। ऐसे में इस आदेश को हाईकोर्ट में अपील दाखिल करते हुए चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों की जांच के बाद यह स्पष्ट कर दिया कि बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी, मृतक के परिजनों को रोजगार देने को आधार बनाकर मुआवजा राशि से कटौती की अनुमति नहीं दी जा सकती। ये सभी राशियां मृतक की ओर से संविदात्मक संबंधों के कारण अर्जित की जाती हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि ये राशियां मृतक के आश्रितों या कानूनी उत्तराधिकारियों को मोटर वाहन दुर्घटना में उसकी मृत्यु के कारण प्राप्त हुई हैं।
मृतक की संपत्ति या उनके आश्रितों को अपने जीवनकाल में किए गए किसी अनुबंध या कार्य के परिणामस्वरूप जो लाभ प्राप्त होता है, उसे मृतक की मृत्यु का परिणाम नहीं कहा जा सकता, भले ही ये राशियां उसकी मृत्यु के बाद ही आश्रितों के हाथों में जाएं। इन बिंदुओं को आधार बनाकर हाईकोर्ट ने किसान व पेंशनर मृतक के परिजनों को आय का नुकसान माना और मुआवजा राशि में 13 लाख 35 हजार 356 रुपये की बढ़ोतरी का आदेश दिया है।