पंजाब- हरियाणा पानी विवाद के बीच भगवंत मान सरकार ने उठाया कदम, डैम सेफ्टी एक्ट के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) एक ‘सफेद हाथी’ बन चुका है और इसका पुनर्गठन किया जाना चाहिए. पंजाब और हरियाणा में पानी को लेकर चल रहे विवाद के बीच सोमवार (5 मई) को पंजाब विधानसभा ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया. वहीं विधानसभा में केंद्र के डैम सेफ्टी एक्ट को रद्द करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐलान किया कि पंजाब में बांधों की सुरक्षा को लेकर पंजाब अपना एक्ट बनाएगा क्योंकि पंजाब अपने बांधों की सुरक्षा करने में खुद सक्षम है.

विधानसभा में इस प्रस्ताव पर बोलते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) एक ‘सफेद हाथी’ बन चुका है और इसका पुनर्गठन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि तीन नदियां सतलुज, व्यास और रावी कोई भी हरियाणा और राजस्थान से जाती ही नहीं हैं पर फिर भी उन्हें पानी दिया जा रहा है.

‘6 महीने से हरियाणा को लिख रहे चिट्ठी’
मौजूदा विवाद पर सीएम ने आगे कहा कि पंजाब सरकार 6 महीने से हरियाणा को चिट्ठी लिख रही थी कि आप जरूरत से ज्यादा पानी इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन हरियाणा ने पानी का इस्तेमाल सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया, जिसके चलते हरियाणा ने अपने हिस्से का पानी मार्च महीने में ही खर्च कर लिया. पंजाब अपने हिस्से के पानी का कम इस्तेमाल करता रहा है जबकि हरियाणा हमेशा से ही अपने कोटे से ज्यादा पानी इस्तेमाल करता है.

सीएम मान ने आंकड़े बताते हुए कहा कि पंजाब ने फिर भी हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी देने के लिए सहमति दी थी और वो पानी दिया जा रहा था मगर हरियाणा ने 8500 क्यूसेक पानी रोजाना देने की मांग की और बीबीएमबी जिसके बोर्ड में बीजेपी के लोगों का बहुमत है तो उन्होंने हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी देने का निर्णय ले लिया.

‘हम अपने हिस्से का पूरा पानी यूज करेंगे’
भगवंत मान ने कहा कि जब बरसात में बाढ़ आती है तो हरियाणा और राजस्थान पानी लेने से मना कर देते हैं जिसकी वजह से पंजाब में बाढ़ आ जाती है. उन्होंने आगे कहा कि हम अपने हिस्से का पूरा पानी इस्तेमाल करेंगे और राज्य के दूर दराज के गांवों तक पानी पहुंचाएंगे ताकि ग्राउंड वाटर पर निर्भरता कम हो क्योंकि पंजाब जरूरत से ज्यादा ग्राउंड वॉटर का इस्तेमाल कर रहा है.

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