
ऑपरेशन विजय के दौरान पंजाब के 65 फौजी शहीद हुए थे जबकि 22 जवान बुरी तरह जख्मी होकर दिव्यांग हो गए। 28 जवान ऐसे हैं, जिन्हें युद्ध के दौरान उनकी शूरवीरता के लिए वीरता पुरस्कार से नवाजा गया था।
पंजाब सरकार अब शहीदों के आश्रितों, युद्ध के दाैरान हुए दिव्यांगजनों व वीर पुरस्कार विजेताओं का दुख-दर्द और समस्याओं को साझा करने के लिए उनके घरों तक पहुचेंगी। इसकी शुरुआत फिलहाल कारगिल में ऑपरेशन विजय के दौरान शहीद हुए जवानों-अफसरों के आश्रितों व दिव्यांग फौजियों से की जा रही है। इसके लिए डिफेंस सर्विसेस वेलफेयर निदेशालय ने जेसीओ व अन्य कर्मचारियों की विशेष टीमें गठित कर दी हैं।
ऑपरेशन विजय के दौरान पंजाब के 65 फौजी शहीद हुए थे जबकि 22 जवान बुरी तरह जख्मी होकर दिव्यांग हो गए। 28 जवान ऐसे हैं, जिन्हें युद्ध के दौरान उनकी शूरवीरता के लिए वीरता पुरस्कार से नवाजा गया था। हालांकि इन लोगों को सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान सम्मानित करती रहती है मगर अब सरकार ने निर्णय लिया है कि इन लोगों के घर-घर जाकर उनके दुखड़े सुने जाएं और उनकी समस्याओं के निपटान में हरसंभव सहयोग किया जाए।
इस काम के लिए गठित टीमों को निदेशालय ने फील्ड में भेज दिया है। समस्याओं को सुनने, समझने और संबंधित विभागों से उनके निपटारे के दौरान टीमों की क्या भूमिका रहेगी, यह भी उन्हें स्पष्ट कर दिया गया है। इसकी एक रिपोर्ट निदेशालय स्तर पर कंपाइल की जाएगी, जिसे बाद में राज्य सरकार को भेज दिया जाएगा।
बैठकों में डीसी, एसपी करेंगे सुनवाई
शहीदों के आश्रितों व दिव्यांगों की समस्याएं केवल रक्षा मामलों से संबंधित नहीं होती बल्कि वे कई तरह के सिविल मामलों में भी वे उलझे रहते हैं। पूर्व सैनिक खुशबीर सिंह दत्त ने बताया कि अमूमन शहीदों के आश्रित व अन्य पूर्व सैनिक पेंशन, बेनेफिट ड्यू, हेल्थ केयर, कैंटीन, वेलफेयर व पुनर्वास इत्यादि मुद्दे में फंसे रहते हैं।
इन मसलों के अलावा भी कई सिविल समस्याओं, जैसे ट्यूबवेल कनेक्शन न मिलना, तहसीलों में अटके काम, जमीन व मकानों पर अवैध कब्जे, झगड़े व अन्य दिक्कतों में भी वे उलझे रहते हैं। कई मामले विभिन्न विभागों से संबंधित होते हैं। खुशबीर बताते हैं कि शहीदों की विधवाएं और उनके बच्चे इन समस्याओं को लेकर ज्यादा दाैड़-भाग नहीं कर पाते। लिहाजा गठित की गईं टीमें इन सभी मसलों को हर जिलों में होनी वाली त्रैमासिक बैठक के दौरान डीसी व एसपी के समक्ष रखेंगी और उनका निपटान करवाएंगी।
पंजाब सरकार की यह पहल शहीदों के आश्रितों, दिव्यांगजनों और वीरता पुरस्कार विजेताओं के प्रति एक सम्मान है। कोशिश यही है कि इन्हें किसी भी जायज मामले में परेशान न होना पड़े। इसलिए इनकी समस्याएं उनके घर-घर जाकर पूछी जा रही हैं और उसके बाद संबंधित विभागों से इनका समाधान भी करवाया जाएगा। – बिग्रेडियर भूपिंद्र सिंह ढिल्लों (वेटरन), निदेशक, डिफेंस सर्विस वेलफेयर, पंजाब