पाकिस्तान से बासमती चावल के निर्यात में इसी साल 64 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। भारत के निर्यातकों का कहना है कि यह हमारी मार्केट थी, जिस पर पाकिस्तान कब्जा कर रहा है।
पंजाब में बासमती की फसल में इस बार 13 फीसदी इजाफा होने जा रहा है, लेकिन इसके खरीदार निर्यातकों ने बासमती की खरीद से हाथ पीछे खींच लिए हैं। इसके पीछे केंद्र सरकार की ओर से बासमती निर्यात मूल्य को कम करने के लिए तैयार न होना है। लिहाजा, महंगी बासमती खरीदकर कम मूल्य पर बेचने के लिए निर्यातक तैयार नहीं है।
ताजा आंकड़े भी चौकाने वाले हैं क्योंकि केंद्र सरकार की इस बेरुखी के कारण पंजाब की बासमती पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है और पाकिस्तान में चावल निर्यात में 200 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। निर्यात किए जाने वाले चावलों में एक महत्वपूर्ण प्रकार बासमती चावल का है।
पाकिस्तान से बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि
एक ओर पाकिस्तान से बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है तो दूसरी ओर उसकी तुलना में भारत से बासमती चावल के निर्यात में कमी देखी गई है। पाकिस्तान ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान ढाई अरब डॉलर का चावल निर्यात किया था, जबकि चालू वित्तीय वर्ष के शुरुआती सात महीनों में 2.2 अरब डॉलर का चावल निर्यात हो चुका है और लक्ष्य तीन अरब डॉलर से अधिक का है। इसका सीधा असर पंजाब पर हो रहा है।
निर्यातक एसोसिएशन के प्रधान अरविंदरपाल सिंह ने कहा कि सरकार को तुरंत मूल्य सीमा हटा लेनी चाहिए और मुक्त व्यापार की अनुमति देनी चाहिए और वर्तमान परिदृश्य के अनुसार उत्कृष्ट मानसून के साथ, बासमती धान के किसान पंजाब, हरियाणा और अन्य आसपास के क्षेत्रों में जीआई टैग के तहत बंपर फसल की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सितंबर के अंत तक 1509 जैसी निम्न श्रेणी की बासमती फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी। अब यह वास्तव में जरूरी है कि वाणिज्य मंत्रालय प्राथमिकता के आधार पर निर्णय ले ताकि बासमती धान उत्पादकों को अत्यधिक लाभकारी मूल्य मिल सके और साथ ही हमारे प्रतिद्वंद्वियों से हमारे अंतरराष्ट्रीय ग्राहक आधार को पुनः प्राप्त किया जा सके। एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी ने कहा कि 950 अमेरिकन डॉलर की बासमती से हम विश्वस्तर पर पाकिस्तान की 550 अमेरिकन डॉलर प्रति टन का कैसे मुकाबला करेंगे?
पाकिस्तान राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व पदाधिकारी तौफीक अहमद खान के मुताबिक भारत की ओर से बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय करने के पहले पाकिस्तान की एक्सपोर्ट प्राइस भारत से अधिक थी। उस समय भारत का बासमती चावल पाकिस्तान की तुलना में सस्ता था। इस कारण भारत को अधिक निर्यात ऑर्डर मिल रहे थे। भारत में निर्यातक एसोसिएशन के डायरेक्टर अशोक सेठी का कहना है कि हमने तथ्यों के साथ केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद के सामने पूरा मामला रखा है कि अगर निर्यात मूल्य कम नहीं किया गया तो बासमती का कारोबार खत्म हो जायेगा।
200 साल पुराना है बासमती का इतिहास
बासमती चावल की उपज का इतिहास करीब 200 वर्ष पुराना है। इसकी पैदावार उपमहाद्वीप के खास क्षेत्रों में ही होती है। यहां पैदा होने वाले बासमती चावल का अलग जायका और खुशबू है। इसकी उपज का ऐतिहासिक क्षेत्र चिनाब और सतलुज नदियों के बीच का हिस्सा है। पाकिस्तान में सियालकोट, नारवाल, शेखूपुरा, गुजरात गुजरांवाला, मंडी बहाउद्दीन और हाफिजाबाद के जिले बासमती चावल की पैदावार के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर भारत में पूर्वी पंजाब, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर के इलाकों में ऐतिहासिक तौर पर इसकी खेती की जाती रही है।
निर्यात मूल्य बढ़ने के बावजूद भारत ने पाकिस्तान को पछाड़ा
अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक भारत ने दुनिया के 100 से अधिक देशों को 52,42,511 मीट्रिक टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट किया। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इतना बासमती चावल कभी भी एक्सपोर्ट नहीं किया गया था। अगर बीते वर्ष अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक की बात करें तो 45,60,762 मीट्रिक टन बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा था। यानी एक साल में ही 6,81,749 मीट्रिक टन अधिक चावल एक्सपोर्ट किया गया।