नोएडा वालों की पार्किंग की टेंशन होगी खत्म, फोर्टिस अस्पताल के पास सुविधा देगा प्राधिकरण

नोएडा प्राधिकरण सेक्टर-62 में फोर्टिस अस्पताल के पास 23 करोड़ रुपये की लागत से ऑटोमेटेड पजल पार्किंग बनाने जा रहा है। इस पार्किंग में 100 वाहनों को पार्क किया जा सकेगा और यह सेंसर तकनीक पर आधारित होगी। इससे पार्किंग की समस्या का समाधान होगा और कम समय में गाड़ियां पार्क हो सकेंगी। शहर के बाजारों में सबसे बड़ी समस्या वाहन पार्किंग की है। प्राधिकरण इस समस्या का हल निकालने जा रहा है। इसके लिए बाजार में ऑटोमेटिड पजल पार्किंग बनाई जाएगी। पहले फेज में नोएडा प्राधिकरण 23 करोड़ रुपये खर्च कर सेक्टर-62 में फोर्टिस अस्पताल के पास पजल पार्किंग बनाने जा रहा है।

कितने वाहनों की हो सकेगी पार्किंग?

इस पर 23 करोड़ खर्च कर बनाया जाएगा। यह पार्किंग चार फ्लोर और 100 वाहनों की क्षमता की होगी। इसके अलावा दो अन्य स्थानों पर भी पजल पार्किंग बनाने पर विचार किया गया है। पार्किंग का निर्माण प्राधिकरण खुद करेगा, जबकि इसके संचालन के लिए कंपनी का चयन किया जाएगा।

बता दें कि यह पार्किंग हाइड्रोलिक से अलग होती है। आटोमेटिड पजल पार्किंग एक पजल गेम की तरह है। इसमें जितने पार्किंग स्लाट होते है उतने ही स्टैंड होते है। जो ऊपर, नीचे, दायीं और बायीं मूवबेल होते है।

इसे ऐसे समझे एक कार पार्किंग के लिए आती है। उसे ग्राउंड के स्टैंड पर खड़ा किया। उसे चौथे फ्लोर पर कार खड़ी करनी है। ऐसे में पूरा स्टैंड सेंसर के जरिये कार समेत ऊपर उठेगा और चौथे फ्लोर पर जाकर सेट हो जाएगा।

प्रत्येक फ्लोर पर पार्क कर सकेंगे 25 कार

नीचे खाली स्पेस पर दूसरा स्टैंड ऑटोमेटिक शिफ्ट हो जाएगा। इस पूरे काम में करीब तीन से छह मिनट का समय लगता है। यानी मल्टीलेवल और हाइड्रोलिक या अन्य स्थानों पर पार्किंग करने पर गाड़ी निकालने और खड़ा करने में आपको 15 से 20 मिनट का समय लगता है, लेकिन इसमें कार मजह तीन से छह मिनट पर लग जाती है और बाहर भी आ जाती है।

नोएडा में चार फ्लोर ऑटोमेटिड पजल पार्किंग बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसके प्रत्येक फ्लोर पर 25 कार आसानी से पार्क हो सकेंगे। यह पार्किंग आटोमेटिड है। इसमें गाड़िया ग्राउंड से एक फ्लोर से दूसरे फ्लोर में शिफ्ट होती है।

उसी तरह नीचे आती है। ये पूरा काम मशीनों के जरिये होता है। इसलिए इसमें सेंसर लगाए गए है। यदि कोई बच्चा या जानवर गलती से पार्किंग के अंदर आ जाए तो आटोमेटिक जहां कार है वहीं स्थिर हो जाएगी। वह नीचे नहीं आएगी ताकि इसके नीचे कोई दब न जाए। इसकी रेंज तय की जा सकती है। से पीली लाइन से इंडीकेट किया जा सकता है। इस तरह की पार्किंग के निर्माण में ज्यादा स्पेस की जरूरत नहीं होती। बहुत कम स्पेस में चार फ्लोर तक की बन सकती है।

ये पूरी पार्किंग सेंसर बेस्ड होती है। इसलिए चोरी से लेकर टूट फूट का खतरा नहीं होता। आपरेशन के लिए ज्यादा मैन पावर की आवश्यकता नहीं है। हालांकि संचालन के लिए उसी कंपनी को प्राथमिकता दिया जाएगा जो पहले इसका संचालन कर चुकी है।

पजल पार्किंग नोएडा के लिए जरूरी हो चुकी है।

Related Articles

Back to top button