
दिवाली के दूसरे दिन दिल्ली, नोएडा और आसपास के क्षेत्रों की हवा फिर से बेहद खराब हो गई। दिल्ली के कई हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर 500 के पार पहुंच गया, जबकि नोएडा में यह 350 के ऊपर दर्ज किया गया। ऐसे में सांस लेना लोगों के लिए कठिन हो गया। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार हर साल पानी के छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल करती है।
एंटी स्मॉग गन क्या है?
एंटी-स्मॉग गन (Anti-Smogg Gun) एक ऐसी मशीन है जो वायुमंडल में सूक्ष्म पानी की बूंदें फैलाती है। ये बूंदें हवा में मौजूद धूल और प्रदूषित कणों (PM 2.5 और PM 10) को नीचे गिरा देती हैं। इस तरह हवा में मौजूद जहरीले कण कम हो जाते हैं। एंटी स्मॉग गन को स्प्रे गन, मिस्ट गन या वाटर कैनन के नाम से भी जाना जाता है।
कैसे काम करती है?
यह डिवाइस हाई प्रेशर के तहत पानी को 50-100 माइक्रॉन आकार की सूक्ष्म बूंदों में बदलकर फैलाती है। पानी की ये बूंदें 150 फीट ऊँचाई तक जा सकती हैं और प्रति मिनट 30 से 100 लीटर पानी का छिड़काव कर सकती हैं। इसके चलते हवा में मौजूद प्रदूषण और धूल जमीन पर बैठ जाती है। इसे खनन, कोयला खनन और पत्थर तोड़ने जैसी औद्योगिक धूल नियंत्रण में भी इस्तेमाल किया जाता है।
कितनी असरदार है एंटी स्मॉग गन?
हालांकि यह तकनीक प्रदूषण को अस्थायी रूप से कम करने में मदद करती है, लेकिन विशेषज्ञ इसे लंबे समय के समाधान के रूप में नहीं देखते। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डी. साहा के अनुसार, “एंटी स्मॉग गन केवल सीमित क्षेत्रों, जैसे स्टेडियम या छोटे परिसर में ही प्रभावी है। खुले और बड़े क्षेत्रों में यह पूरी तरह कारगर नहीं होती।”
नगर निकाय अधिकारियों का कहना है कि चुनिंदा जगहों पर इसका इस्तेमाल करके धूल को फैलने से रोका जा सकता है, लेकिन यह पूरे शहर के प्रदूषण को कम करने में सक्षम नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपाय तात्कालिक राहत तो देता है, लेकिन दिल्ली-NCR जैसी बड़े क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।