
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने टीसी को लेकर स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सबसे अहम बात यह है कि बच्चे की पढ़ाई और भविष्य किसी भी तरह से प्रभावित न हो. दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम और संवेदनशील मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी भी स्कूल को यह अधिकार नहीं है कि वह माता-पिता के आपसी विवाद के चलते किसी बच्चे को ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) देने से इनकार करे. जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सबसे अहम बात यह है कि बच्चे की पढ़ाई और भविष्य किसी भी तरह से प्रभावित न हो. कोर्ट ने स्कूल प्रशासन को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर टीसी जारी करे, ताकि बच्ची की पढ़ाई में कोई बाधा न आए.
क्या था मामला?
यह याचिका एक नाबालिग बच्ची की ओर से उसकी मां द्वारा दाखिल की गई थी. याचिका में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय और मॉन्टफोर्ट स्कूल को पक्षकार बनाते हुए ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी करने का अनुरोध किया गया था. याचिकाकर्ता का कहना था कि अप्रैल 2024 में बच्ची के माता-पिता अलग हो गए थे और तब से वह अपनी मां के साथ गुरुग्राम में रह रही है. बच्ची को गुरुग्राम के एक स्कूल में दाखिला भी मिल गया है, लेकिन मॉन्टफोर्ट स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट देने से इनकार कर रहा है.
दिल्ली HC में स्कूल ने दी दलील
मॉन्टफोर्ट स्कूल ने टीसी न देने का कारण यह बताया कि बच्ची के पिता ने स्कूल को एक पत्र लिखकर टीसी जारी न करने की मांग की थी. हालांकि कोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि माता-पिता के बीच मेट्रिमोनियल विवाद का मामला फैमिली कोर्ट में लंबित जरूर है, लेकिन वहां से ऐसा कोई आदेश पारित नहीं हुआ है जिससे टीसी रोकने का निर्देश दिया गया हो.
दिल्ली HC ने की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस महाजन ने अपने आदेश में कहा, ”बच्चे के हित को सर्वोपरि मानना हमारी संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है. माता-पिता के बीच कोई भी निजी विवाद स्कूल को इस हद तक नहीं पहुंचा सकता कि वह बच्चे की शिक्षा में रुकावट डाले.” हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि स्कूल ने जानबूझकर टीसी देने में देरी की, तो उसके प्रधानाचार्य या प्रभारी अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
स्कूल को चेतावनी और विकल्प
दिल्ली हाई कोर्ट ने स्कूल को आदेश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर टीसी जारी करे. साथ ही यह भी कहा कि अगर स्कूल इस आदेश से असहमति रखता है, तो वह याचिका में बदलाव को लेकर उपयुक्त आवेदन दे सकता है.