दिल्ली सरकार की वित्तीय हालत पर बड़ा खुलासा, CAG रिपोर्ट में सामने आई गंभीर गड़बड़ियां

विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि कैग ने गहन जांच और ऑडिट के बाद रिपोर्ट तैयार की है. कैग की रिपोर्ट सरकार की वित्तीय स्थिति पर सवाल खड़े करती है. दिल्ली सरकार की वित्तीय हालत पर कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. वित्तीय और विनियोजन खाते पेश करते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि रिपोर्ट दिल्ली सरकार की वित्तीय स्थिति को समझने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि कैग ने गहन जांच और ऑडिट के बाद रिपोर्ट तैयार की है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं. हैरानी की बात है कि पिछली सरकार ने रिपोर्ट्स को विधानसभा में पेश नहीं किया था. 

कहां हुई गड़बड़ी? CAG ने बताई बड़ी खामियां

1. 2021-22 और 2022-23 में करोड़ों रुपये की बचत, लेकिन सही उपयोग नहीं

• वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार के पास ₹10,539 करोड़ की कुल बचत थी, लेकिन ₹5,458 करोड़ समय पर सरेंडर न करने की वजह से लैप्स हो गए

• इसी तरह 2022-23 में ₹14,115.71 करोड़ की कुल बचत हुई, लेकिन ₹7,557.47 करोड़ लैप्स हो गए

• इसका मतलब है कि अगर सरकार ने सही योजना बनाई होती तो यह पैसा जनता के विकास कार्यों में खर्च किया जा सकता था

2. सरकार ने नहीं दिए बिल, करोड़ों पर सवाल

• कैग ने पाया कि 2021-22 में सरकार के विभिन्न विभागों ने ₹432.42 करोड़ का बिल जमा नहीं किया
• इसका मतलब है कि रकम वास्तव में खर्च हुई या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती
• 2022-23 में भी ₹574.89 करोड़ के खर्च को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले

3. ₹9,314.85 करोड़ के खर्च का हिसाब नहीं

• 31 मार्च 2023 तक सरकार ₹9,314.85 करोड़ की उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दे पाई

• इसका मतलब है कि इतनी बड़ी रकम कहां खर्च हुई, इस पर संदेह बना हुआ है

• कैग ने इस पर गंभीर चिंता जताई है और कहा है कि फंड के दुरुपयोग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियमों के अनुसार, इन वित्तीय अनियमितताओं की जांच अब लोक लेखा समिति करेगी. उन्होंने कहा कि विधानसभा और PAC की जांच से सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकारी धन का सही उपयोग हो और भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां न हों. 

दिल्ली सरकार का बजट हर साल लाखों करोड़ रुपये का होता है. सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, जल आपूर्ति और अन्य बुनियादी सुविधाओं पर बजट की राशि खर्च की जाती है. अगर भारी भरकम राशि बिना उपयोग के लैप्स हो जाता है या उसके खर्च का कोई हिसाब नहीं मिलता, तो जनता के टैक्स का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता. अब देखना होगा कि आगे की जांच में और क्या खुलासे होते हैं और क्या कोई जवाबदेही तय की जाएगी. 

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