दिल्ली: यमुना को बचाने के लिए किराड़ी, द्वारका और रोहिणी में ड्रेन-जलाशय होंगे दुरुस्त

इसके तहत किराड़ी ट्रंक ड्रेन, द्वारका में स्टॉर्म वाटर चैनल नंबर 2 और 5, द्वारका सेक्टर 8 में स्टॉर्म वाटर ड्रेन और रानी खेड़ा से रोहिणी सेक्टर 40 तक स्टॉर्म वाटर ड्रेन को दुरुस्त किया जाएगा।

डीडीए ने यमुना नदी के प्रदूषण, जलभराव और भूजल प्रदूषण की समस्याओं से निपटने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इसके तहत किराड़ी ट्रंक ड्रेन, द्वारका में स्टॉर्म वाटर चैनल नंबर 2 और 5, द्वारका सेक्टर 8 में स्टॉर्म वाटर ड्रेन और रानी खेड़ा से रोहिणी सेक्टर 40 तक स्टॉर्म वाटर ड्रेन को दुरुस्त किया जाएगा। इस परियोजना के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में 145 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

इस परियोजना के तहत ड्रेनों की मरम्मत, रखरखाव के साथ जलाशयों का निर्माण भी किया जाएगा। ये जलाशय वर्षा जल संचयन और पार्कों की सिंचाई जरूरतों को पूरा करने में सहायक होंगे। किराड़ी में ट्रंक ड्रेन सुधार करने से जलभराव की समस्या कम होगी, जबकि द्वारका और रोहिणी में स्टॉर्म वाटर ड्रेन की मरम्मत से मानसून के दौरान जल निकासी में सुधार होगा। जलाशयों के निर्माण से भूजल स्तर को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

यमुना में गिर रही 12 ड्रेनों की हालत बेहद खराब
डीडीए के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में कुल 22 ट्रंक ड्रेन, 65 स्टॉर्म वाटर ड्रेन, और 10 स्टॉर्म वाटर चैनल हैं, जो शहर की जल निकासी व्यवस्था का आधार हैं। इनमें से 12 ड्रेन (8 ट्रंक ड्रेन और 4 स्टॉर्म वाटर ड्रेन) की हालत बेहद खराब है। इन ड्रेनों में गाद का जमाव, क्षतिग्रस्त हुई लाइनें और अपर्याप्त रखरखाव प्रमुख समस्याएं हैं। खराब ड्रेनों के कारण अशोधित मलजल और औद्योगिक कचरा सीधे यमुना में प्रवाहित हो रहा है, जिससे नदी की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है।

नदी में ऑक्सीजन की कमी हो रही है
डीडीए के मुताबिक, दिल्ली में यमुना के 22 किलोमीटर के हिस्से में 22 प्रमुख ड्रेन से हरदिन करीब 3,296 मिलियन लीटर अशोधित मलजल नदी में डाला जाता है, जिससे नदी में ऑक्सीजन की कमी हो रही है, जिसके कारण जलीय जीवन करीब समाप्त होने की कगार पर है। खराब ड्रेनों से यमुना में फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट जैसे प्रदूषक भी पहुंच रहे हैं, जो विषाक्त फोम (फ्रॉथ) का कारण बनते हैं। यह फोम खासकर कालिंदी कुंज और ओखला बैराज के पास सर्दियों में दिखाई देता है, जो नदी की पारिस्थितिकी और आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है।

यमुना के किनारे पहले से चल रहीं सभी परियोजनाएं होंगी एकीकृत
यमुना नदी के किनारे पहले से चल रही परियोजनाओं को एकीकृत कर रिवरफ्रंट योजना में समाहित किया जाएगा। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से नदी के किनारे पहले से चल रही सभी 11 परियोजनाओं को एकीकृत रिवरफ्रंट में समाहित करने काे कहा है। बताया जा रहा है कि सरकार एक ही योजना के तहत रिवरफ्रंट तैयार करेगी।

इसी योजना में अन्य विकास की गतिविधियां भी शामिल होगी। यह प्रस्तावित रिवरफ्रंट लगभग 22 किलोमीटर लंबा होगा। यह उत्तरी दिल्ली के पल्ला से लेकर दक्षिण में ओखला तक फैला होगा। साथ ही डीडीए के स्वामित्व वाले 1,500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य यमुना के किनारों को न केवल स्वच्छ और सुंदर बनाना है, बल्कि इसे पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनाना भी है।

दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी तट पर प्रमुख परियोजनाओं में कालिंदी अविरल (निजामुद्दीन ब्रिज से डीएनडी फ्लाईवे), कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क (डीएनडी फ्लाईवे से कालिंदी बाईपास), यमुना वाटिका (पुराना रेलवे ब्रिज से आईटीओ बैराज), वासुदेव घाट (वजीराबाद बैराज से पुराना रेलवे ब्रिज), और इकोटूरिज्म क्षेत्र (गीता कॉलोनी ब्रिज से आईटीओ बैराज) शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, न्यू इंडिया गार्डन और निजामुद्दीन ब्रिज के बीच एक नया रिवरफ्रंट खंड भी प्रस्तावित है। दिल्ली सरकार की हाल ही में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में इस परियोजना को गति देने का निर्णय लिया गया। बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस परियोजना की सराहना करते हुए कहा था कि यह साबरमती रिवरफ्रंट की तरह समयबद्ध तरीके से पूरी होगी।

दिल्ली सरकार का मानना है कि यह परियोजना न केवल यमुना को प्रदूषण से मुक्त करेगी, बल्कि दिल्लीवासियों को एक नया मनोरंजन और सांस्कृतिक स्थल भी प्रदान करेगी। साथ ही यमुना की पारिस्थितिकी संतुलन को बहाल करने के लिए जैव-विविधता को बढ़ावा देने, वेटलैंड्स और नदी किनारे बफर जोन बनाने की भी योजना है।

नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण जल्द होगा शुरू
दिल्ली सरकार ने हाल ही में 27 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के निर्माण के लिए 3140 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इन प्लांट्स का उद्देश्य नजफगढ़, शाहदरा और सप्लीमेंट्री ड्रेन जैसे प्रमुख प्रदूषण स्रोतों से आने वाले गंदे पानी को ट्रीट करना है। इन नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाएगा।

साथ ही टर्मिनल सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) और सीवर लाइन बिछाने का काम भी शुरू हो चुका है। यमुना की सतह से कचरा और खरपतवार हटाने के लिए स्किमर, ड्रेज यूटिलिटी क्राफ्ट और खरपतवार हटाने वाली मशीनें तैनात की गई हैं। चुनिंदा घाटों पर इन मशीनों ने सफाई शुरू कर दी है। जानकारों का कहना है कि यमुना की सफाई के रास्ते में कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी समस्या अनटैप्ड ड्रेन और औद्योगिक कचरे का नदी में बहना है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में यमुना के 33 मॉनिटरिंग पॉइंट्स में से 22 पर पानी की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरती।

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