दिल्ली में पहली बार कराई जाएगी आर्टिफीशियल बारिश, IMD ने दी मंजूरी, कहां और कैसे कराई जाएगी, कितना आएगा खर्च?

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग ने वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग पर दिल्ली की पायलट परियोजना को मंजूरी दे दी है और सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। दिल्ली में आर्टिफीशियल बारिश (कृत्रिम वर्षा) कराने की मंजूरी भारत मौसम विज्ञान विभाग ने दे दी है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश से संबंधित दिल्ली सरकार की पायलट परियोजना को मंजूरी दे दी है और सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 

आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में होगी में आर्टिफीशियल बारिश

सिरसा ने बुधवार को कहा कि अनुकूल मौसम की स्थिति -विशेष रूप से नमी वाले बादलों की उपस्थिति के बाद क्लाउड-सीडिंग शुरू होगी। उन्होंने कहा कि सभी प्रमुख अनुमतियां प्राप्त कर ली गई हैं। केवल मामूली परिचालन औपचारिकताएं – जैसे कि अंतिम क्लाउड सीडिंग फ्लाइट मंजूरी – लंबित हैं। इस परियोजना का क्रियान्वयन आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में किया जाएगा, जो इस प्रयास के वैज्ञानिक, तकनीकी और परिचालन पहलुओं की देखरेख करेगा। 

100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को किया जाएगा कवर

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि उत्तर-पश्चिम और बाहरी दिल्ली में पांच विमान-आधारित क्लाउड सीडिंग उड़ानों की योजना बनाई गई है। लगभग 90 मिनट की उड़ान के दौरान करीब 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया जाएगा।  

सिरसा ने बताया कब होगी कृत्रिम बारिश 

दिल्ली में कब कृत्रिम बारिश होगी मंत्री सिरसा ने उसकी तारीख तो नहीं बताई लेकिन इतना जरुर कहा कि जैसे ही मौसम साथ देगा, दिल्ली में पहली कृत्रिम बारिश होगी। मंत्री ने कहा कि पायलट परियोजना स्वच्छ हवा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि आईएमडी उड़ान योजना में सहायता के लिए बादलों के प्रकार, ऊंचाई, हवा की दिशा और ओस बिंदु सहित वास्तविक समय के मौसम संबंधी डेटा प्रदान करेगा। सीडिंग जमीन से 500 से 6,000 मीटर ऊपर स्थित निंबोस्ट्रेटस बादलों को लक्षित करेगी, जिनमें नमी का स्तर कम से कम 50 प्रतिशत होगा।

3.21 करोड़ रुपये आएगा खर्च

कृत्रिम बारिश की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन सीडिंग क्षेत्रों में और उसके आस-पास PM2. 5 और PM10 के स्तर में वास्तविक समय में होने वाले परिवर्तनों को ट्रैक करेंगे। आईआईटी कानपुर ने पहले सूखाग्रस्त क्षेत्रों में क्लाउड सीडिंग के सात सफल प्रयोग किए हैं। यह शहरी वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए इसकी व्यवहार्यता का पता लगाने का पहला प्रयास है। आधिकारिक बयान के अनुसार, 3.21 करोड़ रुपये की इस पायलट परियोजना को दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है।


Related Articles

Back to top button