
देवेन्द्र यादव ने कहा, बिना सुझाव लिए लागू किया गया दिल्ली स्कूल फीस अध्यादेश 2025 अलोकतांत्रिक कदम है. यह अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगा और शिक्षा में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली में बीजेपी की रेखा गुप्ता सरकार का स्कूल फीस (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अध्यादेश, 2025 को स्टेक होल्डर्स से सुझाव लिए बिना आनन फानन में लागू करना लाखों अभिभावकों की आवाज को दबाकर उठाया गया अलोकतांत्रिक कदम है.
देवेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली के लाखों छात्रों की शिक्षा को प्रभावित करने वाला विधेयक जो अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बौझ डालने वाला है, सरकार को इसे विधानसभा में लाकर अभिभावकों के सार्वजनिक रुप से सुझाव लेने के बाद ही लागू करना चाहिए था. लेकिन बीजेपी ने फिर एक बार अपनी तानाशाही और पूंजीपति सरंक्षण नीति का परिचय देते हुए अभिभावकों की आवाज को अनदेखा किया.
स्कूल फीस अध्यादेश के कारण भ्रष्टाचार बढ़ेगा
देवेन्द्र यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार की यह पुरानी आदत है कि वह जिस वर्ग के लिए कानून बनाते है, उसी वर्ग से बिना सुझाव लिए उन पर कानून को पूर्ण रुप देकर उन पर थोपने का काम करते है. केन्द्र सरकार ने 3 कृषि कानून बनाए थे. उनपे किसानों के साथ न तो कोई चर्चा की थी और न उनके सुझाव लिए थे. बीजेपी ने दिल्ली स्कूल फीस अध्यादेश 2025 को लागू करके यही नीति अपनाई है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली स्कूल फीस अध्यादेश के कारण शिक्षा विभाग के प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार बढ़ेगा. साथ ही कहा कि यह अध्यादेश सरकारी जमीन पर बने स्कूलों को भी शिक्षा निदेशालय की पूर्व स्वीकृति के फीस बढ़ोत्तरी करने में स्वंत्रता प्रदान करेगा, जो पहले बिना शिक्षा निदेशालय की अनुमति के अभिभावकों के हित फीस बढ़ोत्तरी नही कर सकते थे.
बीजेपी नेताओं को मनमानी करने का अवसर मिलेगा – देवेन्द्र यादव
देवेन्द्र यादव ने कहा, बीजेपी सरकार अभिभावकों के हित में बता रही है, लेकिन वास्तविकता में इसके पूर्ण रुप से लागू होने के बाद यह अभिभावकों के अधिकारों के भी विरुद्ध साबित होगा. उन्होंने कहा कि अध्यादेश के तहत नए प्रावधान में स्कूलों को न तो फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय से किसी स्वीकृति की आवश्यक होगी और न ही स्कूल खातों का ऑडिट होगा.
इससे साफतौर पर उजागर हो गया कि बीजेपी सरकार ने शिक्षा के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देकर स्कूलों को बेलगाम छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली स्कूल फीस अध्यादेश 2025 पारदर्शिता और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय, शिक्षा में सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देता है. इसके लागू होने के बाद बीजेपी नेताओं को मनमानी करने का अवसर भी मिलेगा.
स्कूलों के आंकड़े 5,400 के आसपास
देवेन्द्र यादव ने कहा कि स्कूल स्तर पर फीस बढ़ोतरी के विवादों के समाधान के लिए गठित जिला समिति के पास भी कोई अधिकार नही होंगे क्योंकि समिति के अध्यक्ष जिला शिक्षा निदेशक होंगे और अन्य सदस्यों में जोनल उप निदेशक, 2 स्कूल प्रमुख और 2 अभिभावक प्रतिनिधित्व होंगे जिन्हें शिक्षा निदेशालय नामित करेगा.
उन्होंने कहा कि ऐसे में जब स्कूल और सरकार दोनों के नामित सदस्य कमेटी में शामिल होंगे तब फीस बढ़ोत्तरी में निष्पक्षता की क्या गारंटी होगी, यह सरकार की नियत ने उजागर कर दिया है. जहां सरकार 1,677 निजी स्कूलों की बात करती है, वहीं स्कूलों के वास्तविक आंकड़े 5,400 के आसपास बताए जाते हैं. सरकार की नीयत पर यह भी संदेह पैदा करता है कि आंकड़े छिपाकर सरकार अपनी जवाबदेही से बचने की कोशिश कर रही है.