
Delhi News: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने कृषि क्षेत्र को डिजिटल सिस्टम से जोड़ने का फैसला लिया है. इसके तहत किसानों की डिजिटल पहचान बनाई जाएगी. दिल्ली के किसानों के लिए सरकार एक नई व्यवस्था लागू करने जा रही है, जिसमें खेती से जुड़ा हर रिकॉर्ड डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्ज होगा. जमीन की पहचान से लेकर फसल की जानकारी तक, अब सब कुछ तकनीक के जरिए सुरक्षित किया जाएगा. सरकार का कहना है कि इससे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा और सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता आएगी.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने कृषि क्षेत्र को डिजिटल सिस्टम से जोड़ने का फैसला लिया है. इसके तहत किसानों की डिजिटल पहचान बनाई जाएगी और दिल्ली की पूरी कृषि भूमि का जियो-मैप तैयार किया जाएगा. यह पहल केंद्र सरकार की विशेष सहायता योजना के तहत की जा रही है.
सरकारी जानकारी के मुताबिक, इस योजना के बदले दिल्ली सरकार को केंद्र से आर्थिक मदद दी जाएगी. यह सहायता तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने पर चरणबद्ध तरीके से मिलेगी. जैसे-जैसे डिजिटल किसान रजिस्टर और फसल सर्वे का काम आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे फंड जारी किया जाएगा.
सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी रोकने पर रहेगा फोकस
मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होने से फसल बीमा, मुआवजा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और सब्सिडी जैसी योजनाओं में होने वाली अनियमितताओं पर रोक लगेगी. खेत और किसान का वास्तविक डेटा उपलब्ध होने से गलत दावों की संभावना कम होगी.
सास्की योजना के तहत राज्यों को मिल रहा प्रोत्साहन
केंद्र सरकार की सास्की योजना का उद्देश्य राज्यों को कृषि क्षेत्र में डिजिटल व्यवस्था अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है. इसके लिए देशभर में 5000 करोड़ रुपये की विशेष केंद्रीय सहायता तय की गई है. दिल्ली सरकार भी अब इसी योजना के तहत काम शुरू कर रही है. जल्द ही राज्य किसान रजिस्ट्री बनाई जाएगी, जिसमें हर किसान का विवरण दर्ज होगा. इसके साथ ही फसलों का सर्वे भी डिजिटल माध्यम से किया जाएगा. इससे यह साफ तौर पर पता चल सकेगा कि किस खेत में कौन-सी फसल बोई गई है और उसका वास्तविक क्षेत्रफल कितना है.
बंद होगी मैनुअल गिरदावरी
अब तक चली आ रही मैनुअल गिरदावरी की प्रक्रिया को खत्म किया जाएगा. इसकी जगह डिजिटल फसल सर्वे लागू होगा. हर खेत की जियो-लोकेशन दर्ज की जाएगी, फसल की तस्वीर ली जाएगी और उसे सैटेलाइट मैप से जोड़ा जाएगा. सरकार के मुताबिक, सभी कृषि भूमि की जियो-रेफरेंसिंग की जाएगी और हर खेत को लगभग 20 मीटर की सटीकता के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्ज किया जाएगा. इससे गलत एरिया दिखाने, फर्जी दस्तावेज और नकली दावों जैसी समस्याओं पर लगाम लगेगी.
किसानों को मिलेगी पहचान और सिस्टम में पारदर्शिता
सरकार का दावा है कि इस नई डिजिटल व्यवस्था से किसानों को एक स्पष्ट पहचान मिलेगी और उन्हें उनके अधिकारों का लाभ आसानी से मिल सकेगा. साथ ही खेती से जुड़ा पूरा सिस्टम अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगा.



