
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लोगों का बजट होगा, जिसमें बुनियादी सेवाओं को मजबूत करने और रोजगार सृजन पर जोर दिया जाएगा। दिल्ली सरकार को ईमेल और पहले जारी किए गए व्हाट्सएप नंबर के जरिए बजट प्रावधानों पर लोगों से 10,000 से अधिक सुझाव मिले हैं।
भाजपा के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार मंगलवार को विधानसभा में अपना पहला बजट पेश करेगी। इसमें यमुना की सफाई, बुनियादी ढांचा विकास और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने जैसे अपने वादों को लागू करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को बजट सत्र शुरू होने से पहले विकसित दिल्ली की मिठास के प्रतीक के रूप में एक खीर समारोह किया। बता दें कि मुख्यमंत्री के पास वित्त विभाग भी है।
पिछले साल आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जिसे बढ़ाकर 77,000 रुपये कर दिया गया था। सरकारी सूत्रों ने बताया कि विधानसभा में पेश होने वाला 2025-26 का बजट 80,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा 27 साल बाद दिल्ली का बजट पेश कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लोगों का बजट होगा, जिसमें बुनियादी सेवाओं को मजबूत करने और रोजगार सृजन पर जोर दिया जाएगा। दिल्ली सरकार को ईमेल और पहले जारी किए गए व्हाट्सएप नंबर के जरिए बजट प्रावधानों पर लोगों से 10,000 से अधिक सुझाव मिले हैं। परामर्श प्रक्रिया का नेतृत्व खुद गुप्ता ने किया, जिन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से बातचीत की और बजट प्रस्तावों पर उनकी प्रतिक्रिया ली।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की भाजपा सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित दिल्ली के सपने को पूरा करे। मंगलवार को विधानसभा में बजट पेश किए जाने के बाद इस पर आम चर्चा होगी। विधानसभा के सदस्य 27 मार्च को प्रस्तावित बजट पर विचार-विमर्श करेंगे और मतदान करेंगे।
बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश न करना भाजपा की विफलता : देवेंद्र यादव
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने बजट सत्र की पूर्व संध्या पर आर्थिक सर्वेक्षण पेश न करना भाजपा की असफलता करार दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण बजट का आधार होता है, जो सरकार को आर्थिक नीति निर्धारण में मदद करता है, लेकिन भाजपा सरकार के पास दिल्ली की समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं है।
यादव ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार के कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण डीटीसी को 2021-22 में 8498 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि कांग्रेस शासन में यह संस्था बिना घाटे के संचालित हो रही थी। उन्होंने कहा कि बीते आठ वर्षों में डीटीसी बेड़े में कोई नई बस नहीं जोड़ी गई, बसों की संख्या 4344 से घटकर 3937 रह गई और कुल रूट 814 से आधे हो गए।