
मयूर विहार फेस-2 में मंदिरों को तोड़ने की कार्रवाई होने वाली थी, लेकिन सुबह 4 बजे बीजेपी विधायक रविंदर सिंह नेगी ने सीएम रेखा गुप्ता को फोन कर बुलडोजर एक्शन रुकवा दिया.
पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज विधानसभा इलाके में आने वाले मयूर विहार फेस-2 में 40 साल पुराने मंदिरों को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही थी. हाई कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने ये एक्शन लिया था. यह कार्रवाई गुरुवार (19 मार्च) की देर रात की गई, जिसके चलते पुलिस फोर्स भी वहां मौजूद थी. हालांकि, मंदिरों को तोड़ा नहीं गया, क्योंकि पटपड़गंज विधायक रविंदर सिंह नेगी भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने इस कार्रवाई को रुकवाने में अहम भूमिका निभाई.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए विधायक रविंदर सिंह नेगी ने बताया कि हाई कोर्ट ने ग्रीन बेल्ट को अतिक्रमण मुक्त करने के निर्देश दिए थे, जिसके तहत 2015 से लेकर 2024 तक तीन-चार बार नोटिस जारी किए गए थे. हालांकि, इस बार बिना किसी पूर्व सूचना के रात 3.00 बजे पुलिस बल और डीडीए के अधिकारी मौके पर पहुंच गए और मंदिर को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
‘अतिक्रमण हटाने के लिए नहीं होती नोटिस की जरूरत’
इस दौरान एडिशनल डीसीपी, एसीपी, एसएचओ सहित पुलिस टीम भी मौके पर पहुंची थी. घटना की जानकारी मिलते ही विधायक रविंदर सिंह नेगी घटनास्थल पर पहुंचे और प्रशासन से बात की. विधायक नेगी ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि बिना नोटिस दिए किसी भी संरचना को तोड़ा नहीं जा सकता. अधिकारियों का जवाब था कि ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस देने की जरूरत नहीं होती और वे सीधे तोड़फोड़ की कार्रवाई कर सकते हैं.
सीएम ने एलजी को फोन कर रुकवाया बुलडोजर एक्शन
विधायक नेगी ने बताया, “इसके बाद मैंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से संपर्क किया और उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने इस पर तत्काल संज्ञान लिया और उपराज्यपाल को इस कार्रवाई को रुकवाने के लिए कहा. इसके बाद विध्वंस की प्रक्रिया को रोक दिया गया और पुलिस तथा डीडीए के अधिकारी घटनास्थल से लौट गए.”
विध्वंस को कैसे रोका जा सकता है?
विधायक नेगी ने कहा कि हाल के वर्षों में धार्मिक स्थलों, जिसमें मंदिर भी शामिल हैं, पर कार्रवाई बढ़ी है. कुछ लोग नहीं चाहते कि ये मंदिर रहें, इसलिए वे शिकायतें दर्ज कराते हैं और फिर कानून के तहत कार्रवाई की जाती है. इसके लिए हाई कोर्ट आदेश जारी करता है लेकिन इस ऑर्डर को रुकवाने के भी तरीके हैं. अगर कोर्ट से स्थगन आदेश लिया जाए और उचित प्रमाण प्रस्तुत किए जाएं, तो ऐसे विध्वंस को रोका जा सकता है.
विधायक ने कहा, “मुझे लगता है कि इस केस में भी यही हुआ है. हालांकि अब हम स्थायी रोक के लिए कोर्ट जा रहे हैं.” जब विधायक से पूछा गया कि अगर हाईकोर्ट का फैसला उनके पक्ष में नहीं आता, तो क्या वे आगे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है.