
जब भी हम ट्यूमर की बात करते हैं, तो आमतौर पर लोगों का ध्यान ब्रेन, लंग्स या पेट जैसे अंगों की ओर जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हड्डियों में भी ट्यूमर (Bone Tumor) हो सकता है और यह समस्या अब हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है?
जब भी किसी को हड्डी में सूजन, दर्द या गांठ की शिकायत होती है, तो हम आमतौर पर इसे मामूली चोट या थकान मान लेते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत (Bone Tumor Symptoms) भी हो सकता है? जी हां, हम बात कर रहे हैं हड्डियों के ट्यूमर की, जो किसी भी उम्र में हो सकता है और जिसकी सही समय पर पहचान और इलाज बेहद जरूरी है।
इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमनें डॉ. बृजेश नंदन से खास बातचीत की है, जो सर गंगा राम अस्पताल में हड्डी रोग और मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट हैं।
क्या होता है बोन ट्यूमर?
बोन यानी हड्डी का ट्यूमर असल में हड्डी की कोशिकाओं का असामान्य रूप से बढ़ना होता है। इसमें कोशिकाएं एक जगह इकट्ठी होकर गांठ या मास बनाती हैं। ये ट्यूमर दो प्रकार के हो सकते हैं- सौम्य (Benign) और घातक (Malignant)।
सौम्य ट्यूमर ज्यादातर मामलों में जानलेवा नहीं होते और धीरे-धीरे बढ़ते हैं। वहीं घातक ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं और कैंसर का रूप ले सकते हैं, जिनका इलाज समय रहते करना बेहद जरूरी होता है।
किन्हें हो सकता है ये ट्यूमर?
हड्डियों का ट्यूमर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन उम्र के अनुसार इसके टाइप बदलते हैं।
बच्चों और किशोरों में आमतौर पर सौम्य ट्यूमर ज्यादा देखे जाते हैं।
बुजुर्गों में यह खतरा बढ़ जाता है कि कोई अन्य कैंसर (जैसे ब्रेस्ट या प्रोस्टेट) हड्डियों तक फैल जाए।
इसके अलावा, अगर किसी व्यक्ति को पहले रेडिएशन थेरेपी दी गई हो, या उसके परिवार में कैंसर की जेनेटिक नेचर हो, तो उनमें भी यह रिस्क ज्यादा होता है।
कैसे करें लक्षणों की पहचान?
शुरुआत में हड्डी का ट्यूमर कोई खास संकेत नहीं देता, लेकिन जैसे-जैसे वह बढ़ता है, कुछ लक्षण दिखने लगते हैं:
हड्डी में गांठ या सूजन
हल्का या लगातार दर्द, विशेषकर रात में
ट्यूमर वाली जगह पर मांसपेशियों का कमजोर पड़ना
बिना किसी बड़ी चोट के हड्डी टूट जाना (Pathological fracture)
इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें। समय पर पहचान से इलाज आसान हो सकता है।
किस तरह होती है जांच?
डॉक्टर सबसे पहले शारीरिक जांच के बाद एक्स-रे, एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन (CT Scan) जैसी इमेजिंग तकनीकों से ट्यूमर की स्थिति का पता लगाते हैं। इसके बाद बायोप्सी यानी ट्यूमर की एक छोटी सी सैंपल जांच करके यह तय किया जाता है कि ट्यूमर सौम्य है या घातक।
आज नई तकनीक से हो रहा इलाज
पहले हड्डी के कैंसर का मतलब था शरीर के किसी अंग को काटना, लेकिन अब आधुनिक चिकित्सा ने इलाज की दिशा ही बदल दी है। जी हां, आज लगभग 95% मामलों में ऐसी सर्जरी की जाती है जिसमें अंग को बचाया जा सकता है, जिसे Limb Salvage Surgery कहते हैं।