
जम्मू-कश्मीर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चार साल पहले बंद हुई दरबार मूव की परंपरा वीरवार को फिर बहाल हो गई। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने वीरवार को अपने कार्यकाल के एक साल पूरा होने के मौके पर इसका एलान किया। डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में तीखे मौसम से बचाव के लिए 1872 से शाही दरबार को श्रीनगर और जम्मू के बीच स्थानांतरित किए जाने की परंपरा शुरू हुई थी।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन ने 30 जून 2021 को इस परंपरा को खत्म कर दिया था। तर्क दिया गया कि इससे करोड़ों रुपये की बचत हुई लेकिन इससे जम्मू के व्यापारियों का कारोबार प्रभावित होने लगा था। वे इस परंपरा को शुरू करने की मांग कर रहे थे। इस परंपरा के फिर शुरू होने पर सरकारी खजाने पर करीब 200 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा।
जम्मू-कश्मीर में अपनी सरकार के एक साल पूरे होने के मौके पर अब्दुल्ला ने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, मैंने प्रदेश के लोगों से दरबार मूव बहाल करने का वादा किया था। हमारी कैबिनेट ने इसका प्रस्ताव पास किया था जिसे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंजूरी दे दी है। अब्दुल्ला ने दिसंबर 2023 में घोषणा की थी कि अगर उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में लौटती है तो वह दरबार स्थानांतरण को बहाल करेगी। सीएम ने कहा, हमारा दरबार मूव का हमारा वादा अब पूरा हो गया है।
महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में 1872 में शुरू हुई थी परंपरा, आजादी के बाद भी कायम रही
डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में शुरू हुई परंपरा आजादी के बाद भी कायम रही। इस व्यवस्था के तहत मई से अक्तूबर तक सरकारी कार्यालय ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में और अन्य छह महीने शीतकालीन राजधानी जम्मू में स्थानांतरित हो जाते थे।
इस प्रक्रिया में लगभग 10,000 कर्मचारियों के साथ-साथ रिकॉर्ड, कम्प्यूटर और फर्नीचर की आवाजाही शामिल थी और साल में दो बार दर्जनों ट्रक फाइलें और उपकरण लेकर जम्मू-श्रीनगर आते-जाते थे।
सीएम ने साधा निशाना, कहा-भाजपा से ज्यादा नुकसान विरासत को किसी ने नहीं पहुंचाया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए अब्दुल्ला ने सवाल उठाया, आखिर दरबार मूव को क्यों रोका गया? यह एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा थी। जो लोग हम पर 1947 से पहले के जम्मू-कश्मीर के इतिहास को न समझने और इस क्षेत्र की महान हस्तियों का सम्मान न करने का आरोप लगाते थे, उन्हें बता दें कि भाजपा से ज्यादा उनकी विरासत को किसी ने नुकसान नहीं पहुंचाया है।
सीएम ने कहा, विपक्षी दल और व्यापारी वर्षों से दरबार मूव की बहाली की पुरजोर वकालत करते रहे हैं। अधिकारी अक्सर मौसम की स्थिति और कर्मचारियों की सुविधा को इस परंपरा को जारी रखने का कारण बताते थे, वहीं आलोचकों ने इसे बोझिल और महंगा बताया। यह कह दिया गया कि इससे सरकारी खजाने को सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये की चपत लगती थी।
यह तर्क दिया गया था परंपरा पर रोक के समय
प्रशासन ने 2021 में तर्क दिया था कि इस प्रथा को समाप्त करके बचाए गए धन का उपयोग सार्वजनिक सेवाओं के लिए बेहतर ढंग से किया जा सकता है। यह भी कहा गया था कि अभिलेखों के डिजिटलीकरण ने भौतिक स्थानांतरण को अनावश्यक बना दिया है।
स्कूल एवं शिक्षा विभाग में कार्यरत 863 सफाई कर्मचारी नियमित होंगे
स्कूल एवं शिक्षा विभाग में कार्यरत 863 अस्थायी सफाई कर्मचारी नियमित होंगे। सीएम ने इसका भी एलान किया। उन्होंने कहा, पहले इन कर्मचारियों को 500-1000 रुपये ही मानदेय मिलता था। अब ये स्थायी कर्मचारी की तरह सारी सुविधाएं पाएंगे। बोले, अन्य विभागों में भी अस्थायी कर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया चल रही है।