
Dalit-Tribal Justice Resolution: तेजस्वी यादव ने ‘दलित-आदिवासी न्याय संकल्प’ पेश किया. जिसमें समानुपातिक आरक्षण, शैक्षणिक व आर्थिक सशक्तिकरण, अत्याचार रोकने और निगरानी समितियों की गारंटी शामिल है. बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रविवार (05 अक्टूबर) को अंबेडकर दलित-आदिवासी अधिकार संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने “दलित-आदिवासी न्याय संकल्प” पेश किया. इस संकल्प के तहत दलित-आदिवासी वर्ग के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक अधिकारों की सुरक्षा तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 17 प्रमुख निर्णय किए गए हैं, जो सोमवार (6 अक्टूबर) को तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर शेयर किए.
तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी सरकार आते ही दलित और आदिवासी समाज की उपेक्षा करने वाली नीतियों को पूरी तरह खत्म किया जाएगा. उन्होंने बताया कि संकल्प का मुख्य उद्देश्य इन वर्गों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान, शैक्षणिक समावेश, सरकारी सेवाओं में समानुपातिक आरक्षण और अधिकारों की निगरानी सुनिश्चित करना है.
उच्च अधिकार प्राप्त समिति का किया जाएगा गठन- तेजस्वी यादव
इस संकल्प के अनुसार अनुसूचित जाति, जनजाति और अति-पिछड़ा वर्ग के त्वरित सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास की निगरानी के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में साल में चार बार बैठक करने वाली उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा. इसके माध्यम से सुझाव, सलाह और नीतिगत फैसले सुनिश्चित किए जाएंगे.
जाति सर्वे के अनुसार लागू किया जाएगा समानुपातिक आरक्षण- तेजस्वी
तेजस्वी ने कहा कि सरकारी सेवाओं में जातिगत भेदभाव को तत्काल समाप्त कर सभी सरकारी नियुक्तियों और पदोन्नति में बिहार जाति सर्वे के अनुसार समानुपातिक आरक्षण लागू किया जाएगा. इसके अलावा, आबादी के अनुपात में आरक्षण की 50% सीमा बढ़ाने हेतु विधान मंडल से कानून पास कर इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग केंद्र सरकार को भेजी जाएगी.
युवाओं को प्रतिवर्ष विदेश में उच्च शिक्षा के लिए दी जाएगी छात्रवृत्ति
संकल्प के तहत डॉ. अम्बेडकर शैक्षणिक समावेश योजना के तहत शैक्षणिक खाई को दूर करने और नीति के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक बजट, मानव संसाधन और अन्य संसाधनों की गारंटी दी गई है. अनुसूचित जाति/जनजाति के 200 युवाओं को प्रतिवर्ष विदेश में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी. इसके अलावा, 5 हजार करोड़ रुपये का अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमिता कोष स्थापित कर युवाओं में उद्यमिता और व्यापार कौशल विकसित किया जाएगा.
राज्य स्तरीय निगरानी समिति का किया जाएगा गठन
अनुसूचित जाति और जनजाति पर होने वाले अत्याचारों की रोकथाम के लिए बिहार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया जाएगा. इसके साथ ही SC/ST एक्ट संशोधन अधिनियम के खिलाफ 2018 में दर्ज मामलों को वापस लिया जाएगा और दलित योद्धाओं को ‘अंबेडकर सेनानी’ का दर्जा देकर पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जाएगा.
संकल्प के अनुसार सभी आवासीय भूमिहीन अनुसूचित जाति/जनजाति तथा पिछड़ा/अति पिछड़ा वर्ग को शहरी क्षेत्रों में 3 डेसिमल और ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डेसिमल भूमि उपलब्ध कराई जाएगी. मनरेगा कानून के तहत कृषि भूमि में प्राथमिकता के आधार पर सुधार किया जाएगा.
आरक्षण नियामक प्राधिकरण का होगा गठन
तेजस्वी यादव ने कहा कि राज्य में उच्च अधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा और किसी भी जातिगत आरक्षण में बदलाव केवल विधान मंडल की अनुमति से ही संभव होगा. प्रत्येक विभाग में अनुसूचित जाति/जनजाति हितों के लिए वार्षिक बैठक आयोजित कर उनकी चिंताओं और सिफारिशों पर कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा.