
झारखंड (Jharkhand News) के सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ की समस्या एक बार फिर चर्चा में है। साहिबगंज-पाकुड़ में जनसंख्या से अधिक लोगों के आधार कार्ड बनने से सवाल उठ रहे हैं। यूआईडीएआई के आंकड़ों के अनुसार राज्य के पांच जिलों में आबादी से अधिक आधार बनाने के मामले हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम ने भी घुसपैठ का प्रमाण जुटाया है।
बांग्लादेशी घुसपैठ के लिए बदनाम झारखंड के सीमावर्ती इलाके एक बार फिर चर्चा में हैं। मतदाता सूची, जन्म प्रमाण पत्र में बड़ी हेराफेरी के बाद अब मेरा आधार, मेरी पहचान में बड़ा खेल होता दिख रहा है। अबकी बार घुसपैठ प्रभावित संताल परगना के साहिबगंज-पाकुड़ में जनसंख्या से अधिक लोगों का आधार कार्ड बनाया गया है। इससे पहले यहां बाप से बड़ा बेटा होने तथा वोटर लिस्ट में 150 प्रतिशत तक मतदाताओं की वृद्धि के मामले सामने आ चुके हैं।
वहीं, दुमका में तौफुल बीबी नाम की महिला को एक ही जन्मतिथि पर आठ बच्चे हो चुके हैं। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के आंकड़ों की मानें तो राज्य के पांच जिलों में आबादी से अधिक आधार बनाने के मामले हैं। इनमें लोहरदगा सबसे अव्वल है। यहां कुल जनसंख्या का 108.81 प्रतिशत आधार कार्ड बना है। गढ़वा में 101.22 तो लातेहार में 102.77 प्रतिशत लोगों का आधार कार्ड बना है।
आधार के ये आंकड़े बता रहे हैं इन जिलों की जनसांख्यिकी में कुछ न कुछ गड़बड़ी जरूर है। शासन-प्रशासन भले ही इसे आम आदमी की नागरिकता का प्रमाण न मानता हो, लेकिन अपनी पहचान स्थापित करने के लिए हाथ-पैर मार रहे घुसपैठियों की उपस्थिति के यह पक्के सबूत दे रहा है।
रोजगार के लिए बड़ी आबादी बाहर, फिर भी धड़ाधड़ बन रहे आधार
सीमावर्ती जिलों में ताबड़तोड़ आधार कार्ड बनाने की बड़ी वजह घुसपैठ को बताया जा रहा है। वहीं, कुछ लोग इसका कारण जनसंख्या वृद्धि की तेज रफ्तार बता रहे हैं। जानकारों का कहना है कि आधार बनाने के आंकड़े राजधानी रांची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो आदि बड़े शहरों से आते, तो इसे एक हद तक स्वीकारा जा सकता था, क्योंकि इन जिलों में दूर-देश के लोग रोजगार व अन्य कारणों से रहते हैं, लेकिन संताल के जिलों की कहानी उल्टी है।
साहिबगंज-पाकुड़ की बड़ी आबादी रोजगार के लिए बाहर यथा दूसरे प्रदेशों में रहती है। अक्टूबर 2024 तक साहिबगंज जिले की अनुमानित आबादी 13 लाख 92 हजार 393 थी, लेकिन यहां 14 लाख 53 हजार 634 लोगों का आधार कार्ड बन चुका है। इसी तरह पाकुड़ की कुल आबादी 10 लाख 89 हजार 673 है, जबकि यहां 11 लाख 36 हजार 959 लोगों का आधार बनाया जा चुका है।
वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, आधार का आंकड़ा रिकॉर्ड में डाले गए जिले के पिन नंबर के आधार पर जेनरेट होता है। ऐसे में इन जिलों के आधार के आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं।
घुसपैठ का प्रमाण जुटाकर लौटी इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम
झारखंड हाई कोर्ट ने घुसपैठ के मुद्दे पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के क्रम में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को इसकी जांच की जिम्मेवारी सौंपी थी। इसके बाद संताल के जिलों में घुसपैठियों की पहचान की जा रही है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) और आंतरिक खुफिया विभाग की दो टीम बांग्लादेशी घुसपैठ का प्रमाण जुटाने के लिए पिछले सप्ताह साहिबगंज पहुंची थी। ये दोनों टीमों ने 15 से 18 दिसंबर तक जिले में रहकर बांग्लादेशी घुसपैठ से संबंधित कई सबूतों को एकत्र किया। इसके बाद टीम यहां से वापस लौट गई।
केंद्रीय एजेंसी की टीम में दिल्ली के अलावा रांची के भी वरीय अधिकारी शामिल थे। बताया गया है कि दो खुफिया टीमों में से एक जिला मुख्यालय के सर्किट हाउस में ठहरी थी। वहीं, दूसरी टीम ने बरहड़वा के एक होटल को अपना अस्थायी ठिकाना बनाया था। इन दोनों टीमों में पांच-पांच आइबी अधिकारी शामिल थे। इस टीम ने चार दिनों तक यहां रहकर जिले के एक-एक इलाके का भ्रमण किया और घुसपैठ संबंधी सबूत एकत्रित किया। इस मामले में जल्द ही बड़ी कार्रवाई की आशंका जताई जा रही है।
घुसपैठ पर हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार
जमशेदपुर के रहने वाले दानियल दानिश ने घुसपैठियों को चिह्नित करने के लिए झारखंड हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की है, उसकी सुनवाई के क्रम में अदालत ने एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपील दाखिल की है, जहां यह मामला फिलहाल लंबित है।
बता दें कि साहिबगंज-पाकुड़ में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा वर्षों से उठता रहा है। यहां थानों में घुसपैठ के कई मामले दर्ज हुए। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद तत्कालीन राजमहल विधायक अनंत ओझा ने मतदाता सूची में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों का नाम जोड़ने की शिकायत चुनाव आयोग से की थी। हालांकि, जिला प्रशासन ने कमेटी बनाकर इसकी जांच कराई लेकिन अधिकारियों को घुसपैठ जैसा कहीं कुछ नहीं मिला। उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद घुसपैठ संबंधी गुप्त सूचना के लिए एक हेल्पलाइन भी जारी किया गया है।