टेंडर के बाद प्रशासनिक-वित्तीय स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव फिर से भेजने की जरूरत नहीं

राजस्थान में सरकारी फाइलों की लौटा-फेरी में लगने वाले समय को कम करने के लिए सरकार ने एक बड़े बदलाव को मंजूरी दी है। अब टेंडर के बाद प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को पुनः प्रस्ताव भेजने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है।

टेंडर के बाद प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के लिए कार्यकारी विभाग द्वारा वित्त विभाग को फाईल भेजने की व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है। गत सरकार के समय शुरू हुई इस प्रक्रिया के कारण विकास कार्यों के शुरू होने में अनावश्यक विलंब हो रहा था।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। विकास कार्यों की घोषणा कर धरातल पर निर्माण कार्य शुरू करने में जानबूझ कर देरी करने की नीयत से गत सरकार के समय व्यवस्था की गई कि कार्यकारी विभाग जब कार्य की स्वीकृति के प्रस्ताव के साथ वित्त विभाग को भिजवाता था, तब वित्त विभाग इस स्वीकृति के बजाय कार्य की केवल सैद्धांतिक स्वीकृति देता था। इसके बाद प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के लिए संबंधित कार्यकारी विभाग को प्रस्ताव पुनः वित्त विभाग को भेजना पड़ता था। इस दोहरी प्रक्रिया में 15 से 30 दिन का अतिरिक्त समय लग रहा था। इससे एक ओर विकास कार्य की लागत बढ़ रही थी, वहीं दूसरी ओर आमजन को इनका समय पर लाभ नहीं मिल पा रहा था।

अब कार्यकारी विभाग से प्राप्त प्रस्ताव वित्त विभाग द्वारा स्वीकृत होते ही निविदा उपरान्त कार्यादेश जारी करने के लिए कार्यकारी विभाग को ही सक्षम बना दिया गया है। कार्यकारी विभाग निविदा के उपरांत कार्यादेश राशि के आधार पर प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृत राशि को स्वयं ही पोर्टल पर अपलोड कर सकेंगे। अतः प्रक्रिया के दूसरे चरण में पत्रावली वित्त विभाग को प्रेषित करने की आवश्यकता नही रहेगी।

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