झारखंड पेसा एक्ट: ग्रामसभा के पास होगा माफी देने का अधिकार, 1000 रुपये तक लगा सकेगी जुर्माना

पारंपरिक ग्राम सभा के द्वारा किसी भी प्रकार की क्षति होने पर दंड देने का प्रविधान किया गया है। हालांकि जहां क्षति करने की कोई नियत नहीं हो तो वैसी स्थिति में अपनी भूल को स्वीकारने, ग्राम सभा के सामने पश्चाताप करने, गलती के लिए क्षमा मांगना और ऐसी गलती दोबारा नहीं करने की प्रतिज्ञा करने को उपयुक्त दंड माना जाएगा।

कोई भी व्यक्ति (आरोपी) अगर पारंपरिक रूढ़ी प्रथा, आदिवासी शासन व्यवस्था के तहत पारंपरिक न्याय पद्धति के तहत लिए गए निर्णय को अपमान या अवमानना करता है, तो अपीलीय के अधिकार को अस्वीकार या अपमान के दृष्टि से नहीं देखा जाएगा।

ग्राम सभा द्वारा रूढ़िवादी आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के न्याय व्यवस्था के तहत सामूहिक असहयोग का दंड देने का अधिकार होगा। हालांकि ग्राम सभा को कारावास की सजा देने का कोई अधिकार नहीं होगा।ग्राम सभा अधिकतम 1000 रुपये तक का आर्थिक दंड किसी आरोपित व्यक्ति पर लगा सकती है।

इसका निर्धारण आर्थिक नुकसान एवं व्यक्ति की सक्षमता को देख कर किया जाएगा। इस राशि को ग्राम सभा के कोष में जमा करना अनिवार्य होगा। ग्राम सभा दंडित व्यक्ति के अपीलीय अधिकार का पालन करेगी।

पारंपरिक ग्राम सभा के निर्णय से किसी पक्षकार की असहमति की स्थिति में पक्षकार सर्वप्रथम अपने समाज के ऊपरी सामाजिक पारंपरिक व्यवस्था यथा, मोडे मांझी, पड़हा राजा, मांझी परगना इत्यादि के समक्ष उच्चतम स्तर (बहुस्तरीय) पर अपील कर सकेंगे।

इस स्तर पर ग्राम सभा के निर्णय से यदि किसी पक्षकार की असहमति की स्थित में सक्षम न्यायलय, या अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष निर्णय से 30 दिनों के अन्दर पुनर्विचार हेतु अपील कर सकेंगे।

पुलिस की भूमिका को भी सीमित करेगी पेसा नियमावली
पेसा के प्रभावी होने के बाद से क्षेत्र में पुलिस की भूमिका को भी ग्राम सभा सीमित कर सकेगी। क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के पूर्व पुलिस को ग्राम सभा की अनुमति लेनी होगी। यह संभव नहीं हो पाने की स्थिति में पुलिस को 48 घंटे के अंदर गिरफ़्तारी के संबंध में पूरी जानकारी ग्राम सभा को देनी होगी।

ऐसे मामलों में जहां पुलिस को ग्राम से परामर्श किए बिना गिरफ्तारी करनी पड़ती है यह जिम्मेदारी पुलिस की होगी मामले की विस्तृत जानकारी जल्द से जल्द ग्राम सभा को देगी। यह अवधि 15 दिन से अधिक नहीं हो सकती।

इन जिलों में प्रभावी होगा पेसा एक्ट
झारखंड के जिन जिलों में आदिवासी आबादी की अधिकता है और जहां संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रविधान लागू होते हैं। इनमें तीन प्रमंडलों के 13 जिले आते हैं, जो इस प्रकार हैं-

दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल : रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार.
कोल्हान प्रमंडल : पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां.
संथाल परगना प्रमंडल : दुमका, साहेबगंज, पाकुड़, जामताड़ा
आंशिक रूप से प्रभावित जिलेगोड्डा के कुछ प्रखंड, पलामू के कुछ प्रखंड

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