झारखंड चुनाव: नक्सलियों के बहिष्कार के बावजूद वोटरों में दिखा उत्साह

झारखंड में 81 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के पहले चरण का मतदान बुधवार को समाप्त हुआ। जहां झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित इलाके में माओवादियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान के बावजूद बूथों पर मतदाताओं की लंबी कतारें नजर आईं।

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित इलाके में माओवादियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान के बावजूद बूथों पर मतदाताओं की लंबी कतारें नजर आईं। अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों ने मनोहरपुर निर्वाचन क्षेत्र के रबांगा गांव में एक मतदान केंद्र के गेट पर पोस्टर और बैनर लगाए थे। इसमें लोगों से वोटिंग का बहिष्कार करने की अपील की गई थी।

बम के संदेह पर देरी से शुरु हुआ मतदान
इसके अलावा एक ऐसी वस्तु भी रखी थी, जिसके बम होने का संदेह था। इन्हें हटाने और पुलिस की ओर से इलाके की घेराबंदी किए जाने के कारण यहां मतदान में आधे घंटे की देरी हुई, लेकिन इसके बावजूद, सैकड़ों मतदाता मतदान केंद्र के बाहर वोट डालने के लिए एकत्र थे। उधर, जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र के छोटानागरा थाना क्षेत्र के हथनाबुरू और डिकूपोंगा गांवों के बीच नक्सलियों ने पेड़ के तने से सड़क को अवरुद्ध कर दिया और अपने पोस्टर-बैनर चिपकाए, जिन्हें पुलिस ने बाद में हटा दिया।

धोनी ने पत्नी के साथ किया मतदान
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रांची के एक मतदान केंद्र पर अपनी पत्नी साक्षी के साथ अपना वोट डाला।

एकमात्र ट्रांसजेंडर प्रत्याशी ने डाला वोट
झारखंड चुनाव के पहले चरण में एकमात्र ट्रांसजेंडर प्रत्याशी नगमा रानी ने मताधिकार का प्रयोग किया और उम्मीद जताई कि मतदाता चुनाव जीतने में उनका समर्थन करेंगे। 35 वर्षीय रानी हटिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जहां उनका मुकाबला भाजपा के नवीन जायसवाल और कांग्रेस के अजय नाथ शाहदेव से है।

कांग्रेस का घोषणापत्र आचार संहिता का उल्लंघन-अधिकारी
झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रवि कुमार ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप दी गई है। कांग्रेस ने राज्य में पहले चरण के मतदान से एक दिन पहले मंगलवार को अपना घोषणापत्र जारी किया। इसमें 250 यूनिट मुफ्त बिजली, जाति आधारित जनगणना और एक साल के भीतर सभी खाली सरकारी पदों को भरने का वादा किया गया है।

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