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हमारे दिन का ज्यादातर समय फोन या कंप्यूटर की स्क्रीन के सामने बीतता है। इस वजह से काम और सोशल मीडिया का स्ट्रेस हमारी सेहत को काफी प्रभावित करता है। डिजिटल स्ट्रेस की वजह से दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जो हार्ट अटैक की वजह भी बन सकता है। आइए जानें कैसे डिजिटल स्ट्रेस से दिल को बचा सकते हैं।
आज के डिजिटल युग में, तकनीक ने हमारे जीवन को आसान और सुविधाजनक बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही यह कई नई चुनौतियां भी लेकर आई है। इनमें से एक सबसे बड़ी समस्या है “डिजिटल स्ट्रेस” (Digital Stress on Heart)।
डिजिटल स्ट्रेस का मतलब है तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल और डिजिटल दुनिया की मांगों के कारण होने वाला मानसिक और शारीरिक तनाव। यह तनाव न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि इसका सीधा असर हमारे दिल की सेहत पर भी पड़ता है। आइए जानें कैसे (Digital Stress Impact on Heart)।
डिजिटल स्ट्रेस के कारण
सोशल मीडिया का दबाव- लगातार सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने और दूसरों की जिंदगी से तुलना करने से तनाव बढ़ता है।
ऑनलाइन काम का बोझ- वर्क फ्रॉम होम और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर काम करने से लोगों को 24/7 उपलब्ध रहने का दबाव महसूस होता है।
सूचनाओं की बढ़ोतरी- इंटरनेट पर मौजूद जानकारी की भरमार से लोगों को ओवर-एक्साइटमेंट और कन्फ्यूजन की स्थिति हो जाती है।
साइबर बुलिंग और ऑनलाइन हरासमेंट- ऑनलाइन दुनिया में नेगेटिव कॉमेंट और बुलिंग भी तनाव का कारण बनते हैं।
डिजिटल स्ट्रेस और दिल की सेहत
डिजिटल स्ट्रेस का सीधा संबंध हमारे दिल की सेहत से है। तनाव के कारण शरीर में कई तरह के हार्मोनल और शारीरिक बदलाव होते हैं, जो दिल के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
ब्लड प्रेशर बढ़ना- तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जो दिल के लिए खतरनाक हो सकता है। लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहने से हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
हार्ट रेट में अनियमितता- डिजिटल स्ट्रेस के कारण लोगों की हार्ट रेट अनियमित हो सकती है। यह स्थिति एरिथमिया (अनियमित धड़कन) का कारण बन सकती है, जो दिल के लिए खतरनाक हो सकता है।
सूजन और आर्टरीज का सख्त होना- तनाव के कारण शरीर में सूजन बढ़ सकती है, जो आर्टरीज को सख्त कर सकती है। इससे दिल तक ब्लड फ्लो कम हो जाता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
नींद की कमी- डिजिटल डिवाइसेज के ज्यादा इस्तेमाल से नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है। नींद की कमी दिल की सेहत के लिए हानिकारक है और यह दिल की बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकती है।
अनहेल्दी लाइफस्टाइल- डिजिटल स्ट्रेस के कारण लोग अक्सर अनहेल्दी आदतों जैसे धूम्रपान, शराब पीना और अस्वस्थ खानपान की ओर मुड़ जाते हैं। ये आदतें दिल की सेहत के लिए नुकसानदायक होती हैं।
डिजिटल स्ट्रेस को कैसे कम करें?
डिजिटल डिटॉक्स- समय-समय पर डिजिटल डिवाइसेज से दूरी बनाएं और अपने मन को शांत करने के लिए समय निकालें।
सोशल मीडिया का लिमिटेड इस्तेमाल- सोशल मीडिया पर बिताए जाने वाले समय को सीमित करें और पॉजिटिव चीजों पर ध्यान दें।
नियमित एक्सरसाइज- फिजिकल एक्टिविटीज तनाव को कम करने और दिल की सेहत को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
हेल्दी डाइट- स्वस्थ और बैलेंस्ड डाइट लें, जो दिल की सेहत के लिए फायदेमंद हो।
पूरी नींद- रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद लेना जरूरी है।