जाति जनगणना कराएगी मोदी सरकार, कैबिनेट की बैठक में लिया गया अहम फैसला

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है. दिल्ली में बुधवार (30 अप्रैल 2025) को मोदी कैबिनेट की बैठक में कई फैसले लिए गए, जिसमें जाति जगणना को अहम माना जा रहा है. केंद्र सरकार ने फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाएगा. राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की ओर से लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है.

पारदर्शी तरीके से होगा जाति जनगणना- अश्विनी वैष्णव

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों के शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया गया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का संकल्प है कि आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाएगा. भारत में प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई.

‘कांग्रेस ने किया जाति जनगणना का विरोध’

राष्ट्रीय जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है. 2010 में दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए. इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक ग्रुप बनाया गया था. अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की है. इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार ने जाति का सर्वेक्षण या जाति जनगणना कराने का फैसला किया.”

जाति जनगणना से देश आगे बढ़ेगा- अश्विनी वैष्णव

विपक्ष पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार जनगणना विषय 7वीं अनुसूची में संघ सूची में 69वें स्थान पर सूचीबद्ध है. संविधान के अनुसार जनगणना एक संघ का विषय है.”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण किए हैं. कुछ राज्यों ने इसे अच्छी तरह से किया है, जबकि कुछ अन्य ने ऐसे सर्वेक्षण पूरी तरह से राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से किए हैं.” उन्होंने कहा कि जाति जनगणना से सामाजिक और आर्थिक ढांचा मजबूत होगा और देश आगे बढ़ता रहेगा.

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