
देशभर में जम्मू-कश्मीर के सेब, अखरोट, केसर, चावल, कालीन और हस्तशिल्प की जबरदस्त मांग है। परिवहन एवं भंडारण की ऊंची लागत, समय पर डिलीवरी में बाधाएं और आधारभूत सुविधाओं की कमी इन उत्पादों की प्रतिस्पर्धा को सीमित कर रही हैं। अब यह तस्वीर बदलने वाली है।
उद्योग विभाग जम्मू के निदेशक अरुण मन्हास ने बताया, इस नीति का मसौदा तैयार हो रहा है, जिसे अगले एक से दो महीने में लागू किया जा सकता है। नीति का उद्देश्य माल ढुलाई में लगने वाले समय और लागत को घटाना है, ताकि राज्य के परंपरागत और औद्योगिक उत्पाद आसानी से देश के अन्य हिस्सों तक पहुंच सकें।
लॉजिस्टिक नीति से परिवहन सस्ता होने के साथ उत्पादकों और कारोबारियों को राहत मिलेगी। नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च एवं केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, 27 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपनी लॉजिस्टिक नीति लागू कर चुके हैं। इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और तमिलनाडु हैं। इन राज्यों में नीति लागू होने के बाद परिवहन लागत पांच से 10 फीसदी तक घट गई है।
माल अच्छा, पर ढुलाई खा जाती है मुनाफा
श्रीनगर के सेब कारोबारी गुलाम हसन बताते हैं, हम सालाना 500 टन सेब भेजते हैं, लेकिन ढुलाई लागत और समय की बर्बादी कमाई पर असर डालती है। बारामुला के अखरोट व्यापारी जावेद मीर का कहना है, ट्रांसपोर्ट महंगा होने से दिल्ली जैसे बाजारों में माल बेचना महंगा पड़ता है।
फार्मा उद्योग से जुड़े सांबा के उद्यमी पीके जैन कहते हैं, हमारी दवाएं कोलकाता और चेन्नई तक जाती हैं। कई शहरों में सीधा रेल संपर्क न होना और स्टोरेज की कमी समय पर डिलीवरी में बाधा डालती है।
हर साल 20 लाख टन सेब का होता है उत्पादन
जम्मू-कश्मीर हर साल 20 लाख टन सेब का उत्पादन करता है। इसमें से 70 फीसदी यूपी, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल भेजे जाते हैं। अखरोट का उत्पादन 2.5 लाख मीट्रिक टन है, जो दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और दक्षिण भारत के हिस्सों में जाता है। केसर, राजमा, मेवे, ऊनी वस्त्र, बासमती चावल और हस्तशिल्प उत्पाद भी लोकप्रिय हैं।
यूएलआईपी और पीएम गतिशक्ति से भी जुड़ेगा
लॉजिस्टिक नीति लागू होने के बाद प्रदेश को केंद्र सरकार के यूनिफाइड लॉजिस्टिक इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूएलआईपी) से भी जोड़ा जा सकेगा। इससे माल ढुलाई की निगरानी और योजना बनाना आसान होगा। पीएम गतिशक्ति योजना के तहत 500 करोड़ से अधिक लागत वाली परियोजनाओं को नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप से मंजूरी दिलाकर बुनियादी ढांचे को गति दी जा सकेगी।
नई नीति में मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब, वेयरहाउसिंग क्लस्टर, कोल्ड स्टोरेज, कंटेनर टर्मिनल, निर्यात केंद्र, ढुलाई से जुड़ी डिजिटल सेवाओं के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।