
हर दो कदम पर खड़े लोग। आंखें गमगीन और चेहरों पर दर्द। घर के अंदर चीखने-चिल्लाने की दिल चीर देने वाली आवाजें। हर किसी की जुबान पर एक ही बात – यह बहुत दुखद हुआ। अभी पांच दिन पहले ही तो शुभम गए थे। वे खुश थे।
छह वर्ष बाद उनका तबादला जम्मू हो गया था। बस रिलीव होना बाकी था। घर में पिता, माता, छोटा भाई, पत्नी और तीन साल का बेटा – सब उनका इंतजार कर रहे थे कि अब शुभम उनके साथ जम्मू में रहेंगे। लेकिन यह नहीं पता था कि छह वर्ष से जिनकी वापसी का इंतजार कर रहे थे, वे हमेशा के लिए उनसे दूर हो जाएंगे।
जम्मू नरवाल के रहने वाले सब-इंस्पेक्टर शुभम सेठ की सड़क हादसे में हुई मौत किसी को पच नहीं पा रही। घर के बाहर मौजूद रिश्तेदार से बात करने पर पता चला कि शुभम अभी बीते बुधवार को ही घर से श्रीनगर गए थे। 2019 बैच के शुभम छह वर्ष से श्रीनगर में थे। अब उनका तबादला जम्मू पुलिस मुख्यालय में हो चुका था। कुछ समय बाद ही वे रिलीव होने वाले थे। परिवार इससे खुश था कि इतने वर्षों बाद सब साथ मिलकर रहेंगे। लेकिन शुभम की मौत ने सारी उम्मीदें खत्म कर दीं।
साइबर कमांडो विंग में हुआ था चयन, बता दें कि देशभर में संबंधित राज्यों की पुलिस के अधीन साइबर कमांडो विंग का गठन हो रहा है। इसमें रुचि रखने वालों से आवेदन मांगे गए थे। शुभम ने भी इसमें आवेदन किया था और उनका परीक्षण के बाद चयन हो गया था। जम्मू तबादला होने पर वे इसका हिस्सा बनने वाले थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
ढाबा चलाते हैं पिता, बेटे के पुलिस अधिकारी बनने से थे गदगद
शुभम के पिता भगवान सरूप सेत नरवाल में ही शर्मा के नाम से वैष्णो ढाबा चलाते हैं। पिता ने कहा, बेटा जब पुलिस अधिकारी बना तो खुशी का ठिकाना नहीं था। हम गदगद थे। कड़ी मेहनत करके बेटे को पढ़ाया था। वह बहुत इंटेलिजेंट था। तकनीक में रुचि रखता था। इसलिए उसने साइबर कमांडो विंग में भी आवेदन कर रखा था। अभी कल ही तो उससे बात हुई थी। यकीन नहीं हो रहा कि वह अब इस दुनिया में नहीं है। मेरी तो कमर ही टूट गई है।
कुछ वर्ष पहले ही हुई थी शादी
रिश्तेदारों से मिली जानकारी के अनुसार, शुभम की चार वर्ष पहले ही शादी हुई थी। एक तीन साल का बेटा है। शुभम की मौत से उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य रो-रोकर बेहाल हो गए हैं। रिश्तेदार उन्हें ढांढस बंधाते और संभालते नजर आए।
देर रात पहुंचा शव, आज हुआ अंतिम संस्कार
शुभम का शव देर रात घर पहुंचा। दिनभर से शव का इंतजार कर रहे परिजन उन्हें देखते ही फफक-फफककर रो पड़े। परिवार की हालत देखकर हर किसी की आंखें नम थीं। हर कोई इस मौत से सदमे में है।
शुभम के पिता भगवान सरूप सेत नरवाल में ही शर्मा के नाम से वैष्णो ढाबा चलाते हैं। पिता ने कहा, बेटा जब पुलिस अधिकारी बना तो खुशी का ठिकाना नहीं था। हम गदगद थे। कड़ी मेहनत करके बेटे को पढ़ाया था। वह बहुत इंटेलिजेंट था। तकनीक में रुचि रखता था। इसलिए उसने साइबर कमांडो विंग में भी आवेदन कर रखा था। अभी कल ही तो उससे बात हुई थी। यकीन नहीं हो रहा कि वह अब इस दुनिया में नहीं है। मेरी तो कमर ही टूट गई है।