जम्मू: एमबीबीएस सीटों पर नहीं थम रहा बवाल

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मेडिकल कॉलेज कटड़ा में 50 में से 42 एमबीबीएस सीटें विशेष समुदाय के छात्रों को आवंटित करने पर विरोध थमता नजर नहीं आ रहा। बुधवार को भी जम्मू संभाग के अलग-अलग जिलों में प्रदर्शन के साथ आगे की रणनीति तय की गई।

हीरानगर में चडवाल चौक पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ गुस्सा प्रकट किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि एमबीबीएस सीटों का अधिकांश हिस्सा कश्मीर घाटी के छात्रों को आवंटित किया जा रहा है जबकि जम्मू संभाग के हिंदू छात्रों के साथ भेदभाव हो रहा है। कठुआ मेें युवाओं ने संघर्ष समिति के बैनर तले शुरू होने वाले आंदोलन का समर्थन करते हुए प्रदर्शन किया।

उधमपुर के जखैनी चौक पर जखैनी और भारत नगर के लोगों ने श्राइन बोर्ड मुर्दाबाद और हिंदुओं के साथ भेदभाव बंद करो के नारे लगाए। रियासी के हिंदू आश्रम में संगठनों की बैठक हुई जिसमें रणनीति बनाई गई। दूसरी ओर जम्मू में भाजपा ने त्रिकुटा नगर स्थित मुख्यालय में प्रेस वार्ता की। इस दौरान श्री माता वैष्णो देवी श्राइन विश्वविद्यालय अधिनियम 1999 में बदलाव की मांग उठाई और प्रवेश प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए।

प्रदेश प्रवक्ता और अधिवक्ता अंकुर शर्मा ने कहा कि श्री माता वैष्णो देवी श्राइन विश्वविद्यालय अधिनियम की दोबारा समीक्षा की जानी चाहिए। यह संस्थान अपनी स्थापना, उद्देश्य और पहचान के लिहाज से धार्मिक परंपरा से जुड़ा है, इसलिए कानून में बदलाव कर इसकी मूल भावना को और स्पष्ट किया जा सकता है।

संशोधन के माध्यम से माता वैष्णो देवी में आस्था रखने वालों को प्रवेश में प्राथमिकता देने जैसे प्रावधान पर विचार किया जाना चाहिए। यह सब संविधान और कानून के दायरे में रहकर होना चाहिए। प्रवक्ता अभिनव शर्मा ने आरोप लगाया कि दाखिले की प्रक्रिया की जानकारी आम लोगों तक ठीक से नहीं पहुंचाई गई।

प्रचार की कमी के कारण कई योग्य और मेधावी छात्र परामर्श के समय कॉलेज को विकल्प के रूप में चुन नहीं सके। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला वेदनशील विषय को धार्मिक रंग देकर राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश कर रहे हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि मामले को राजनीतिक या सांप्रदायिक रूप नहीं दिया जाना चाहिए। श्री माता वैष्णो देवी जैसे पवित्र धार्मिक स्थल से जुड़ी संस्था की आस्था और भावनाओं का सम्मान किया जाना आवश्यक है। चयनित छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी और प्रशासनिक रास्ते मौजूद हैं।

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