
जम्मू-कश्मीर में सड़क हादसों में सुरक्षा एजेंसियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक तरफ पहाड़ी इलाकों में तैनात सेना व अन्य बलों के लिए आतंकवाद की चुनौती है। दूसरी तरफ इन इलाकों में मूवमेंट के दौरान सड़क हादसों से बचना।
बीते 21 महीनों में प्रदेश में 20 सुरक्षाकर्मी सड़क हादसों में बलिदान हो गए। इनमें सबसे अधिक संख्या सेना के जवानों की है। सेना के 13 जवान बलिदान हुए हैं।जानकारी के अनुसार, जनवरी 2024 से लेकर अगस्त 2025 तक जम्मू-कश्मीर में सेना, सीआरपीएफ और बीएसएफ के 18 जवानों की जान सड़क हादसों में चली गई।
पुलिस के दो सब इंस्पेक्टर भी सड़क हादसे में बलिदान हो गए। खासकर पहाड़ी इलाके सुरक्षाबलों को रास नहीं आ रहे। पुलिस के सब इंस्पेक्टरों को छोड़ दें तो बाकी सबकी जान पहाड़ी इलाकों में हुए हादसों में गई है। प्रदेश में औसत हर वर्ष 900 लोगों की जान सड़क हादसों में जा रही है।
चिंता का विषय, लेकिन हर तरह की हिदायतें
इस तरह के हादसों में जवानों का बलिदान चिंता का विषय है, लेकिन हम पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। नियम, प्रक्रिया और विशेषज्ञता, तीनों के आधार पर सैन्य वाहनों के चालक तैयार होते हैं। वाहन की मूवमेंट से पहले उसका फिटनेस चेक होता है। फिर भी कभी मानव त्रुटि से ऐसे हादसे हो जाते हैं। बावजूद इसके हमारे सुधारात्मक प्रयास जारी हैं।
ये हैं कारण
- पहाड़ी इलाकों में खराब सड़कें
- यातायात नियंत्रित करने के लिए प्रति एक लाख लोगों पर औसत चार यातायात कर्मी
- वाहनों की स्पीड पर अंकुश नहीं
कब-कहां हुए सड़क हादसे जिनमें गई सुरक्षाबलों की जान
- 20 सितंबर 2024: बड़गाम सड़क हादसे में तीन बीएसएफ जवान बलिदान
- 24 दिसंबर 2024: पुंछ सैन्य वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से पांच सैन्यकर्मी बलिदान
- 4 जनवरी 2025: बांदीपोरा सड़क हादसे में सेना चार जवान बलिदान
- 4 मई 2025 : रामबन में सेना के तीन जवान सड़क हादसे में बलिदान
- 6 मई 2025: पुंछ के मेंढर में बस दुर्घटनाग्रस्त होने से सेना का जवान बलिदान
- 7 अगस्त 2025 : उधमपुर में दो सीआरपीएफ कर्मी बलिदान
- 11 अगस्त : श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो सब इंस्पेक्टर बलिदान