झारखंड: बच्ची को सबसे पहले झांडियों में गोविंदपुर के ही रहने वाले एक शख्स ने देखा था। उस समय नवजात की स्थिति काफी खराब थी। व्यक्ति ने तत्काल उसे असर्फी अस्पताल में भर्ती कराया।
झारखंड के धनबाद से एक दिल छू लेने वाली खबर सामने आई है। एक साल पहले जो बच्ची गोविंदपुर में झाड़ियों से मिली थी, अब उसे अमेरिका के दंपती ने गोद लिया है। जब बच्ची मिली थी, तब किसी को कहां पता था कि जिस मां ने चाहे जिस मजबूरी में अपनी बच्ची को झाडियों में मरने को फेंक दिया, एक दिन उसे जीवन मिलेगा और अमेरिका जैसे देश में जाकर वह बसेगी।
स्थानीय व्यक्ति ने कराया था अस्पताल में भर्ती
15 महीने की बच्ची को जब पिता ने हाथ में उठाया तो वह भावुक हो गए। बच्ची को सबसे पहले झांडियों में गोविंदपुर के ही रहने वाले एक शख्स ने देखा था। उस समय नवजात की स्थिति काफी खराब थी। व्यक्ति ने तत्काल उसे असर्फी अस्पताल में भर्ती कराया। सीडब्ल्यूसी और डीसीपीओ को जानकारी मिलने के बाद बच्ची को अपनी कस्टडी में लेकर इलाज कराया गया। स्वस्थ होने के बाद बच्ची को सरायढेला स्थित एसएए (स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी) में रखा गया। वहां एक साल तक बच्ची को देखरेख हुई।
इन लोगों ने लिया गोद
बच्ची को गोद लेने वाला दंपती अमेरिका के अरिजोना का रहने वाला है। टॉड बैंक बड़े कारोबारी हैं, जबकि उनकी पत्नी एरिजोना के ही यूनिवसिर्टी में प्रोफेसर हैं। शुक्रवार को सीडब्ल्यूसी में बच्ची को लेने के लिए गोद लेने वाले टॉड, उनकी बहन और दो पड़ोसी पहुंचे थे। पत्नी गर्भवती होने के कारण भारत नहीं आ सकीं। वीजा जारी होने के बाद बच्ची को लेकर अमेरिका रवाना हो जाएंगे।
बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के जिला अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि अमेरिकी दंपती ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के माध्यम से बच्ची को गोद लिया है।
बच्ची के जीवन में आते ही हुआ उजाला: मां
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी बताते हैं कि बच्ची इतनी खुशकिस्मत और लक्ष्मी है कि पहले उसे झाड़ियों से बड़ा अस्पताल नसीब हुआ। इसके बाद सरकारी एजेंसी। एक साल के अंदर ही बच्ची को अमेरिका के दंपती ने गोद ले ली। इतना नहीं नहीं, गोद लेने वाला अमेरिकी दंपती वर्षों से निसंतान था। इसके बाद ही गोद लेने का मन बनाया, लेकिन जैसे ही गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल हुआ और इस बच्ची से मिलान हुआ, वैसे ही गोद लेने वाली मां गर्भवती हो गई। धनबाद पहुंचे पिता ने बताया कि वह छह माह की गर्भ से है, इसलिए भारत नहीं आ पाई। गभर्वती होने के बाद भारत की एजेंसी ने उनसे पूछा कि क्या अब भी गोद लेना चाहते हैं, इस पर उनकी पत्नी ने कहा कि इस बच्ची के जीवन में आते ही उजाला आ गया, इसलिए इसका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे।
लड़की को कारा के एक अधिकारी, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष मुखर्जी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी साधना कुमारी और कारा के परियोजना अधिकारी नीरज डे एवं अन्य की मौजूदगी में अमेरिका निवासी को सौंपा गया।
कारा में करना पड़ता है ऑनलाइन आवेदन
बच्चे को गोद लेने के लिए इच्छुक लोगों को (cara.nic.in) सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एथोरिटी में ऑनलाइन आवेदन करना होता है। यहां आवेदक का वैरिफिकेशन होता है। आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमी की जांच की जाती है। यहां कई आवेदनों में से एक बेहतर आवेदन का चयन किया जाता है। इसके बाद बच्चे को उक्त दंपति को गोद दी जाती है। इसके बाद भी सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एथोरिटी (कारा) लगातार परिजन का रवैया और बच्चे की निगरानी करती है।