गोरखपुर में बोले सीएम योगी- ‘कर्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव सनातन का पहला संस्कार’

 महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की11वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह समापन पर सीएम योगी शामिल हुए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कर्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है. भारतीय मनीषा के ज्ञान दर्शन में इस बात को प्रतिष्ठित किया गया है कि जीवन में हमारे प्रति, समाज और राष्ट्र के प्रति किसी ने योगदान दिया हो तो उसके प्रति कृतज्ञता का भाव होना ही चाहिए. सीएम योगी आदित्यनाथ ने उक्त बातें गोरखपुर में कही.

दरअसल, सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की11वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन गुरुवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे.

सीएम ने हनुमानजी और मैनाक पर्वत के बीच हुए संवाद को समझाया

मुख्यमंत्री ने रामायणकाल में हनुमानजी और मैनाक पर्वत के बीच हुए संवाद के मुख्य उद्धरण ‘कृते च कर्तव्यम एषः धर्म सनातनः’ को समझाते हुए कहा कि यह भाव सनातन से ही मिलता है. सनातन की परंपरा में पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करने के लिए आश्विन माह का पूरा कृष्ण पक्ष ही समर्पित किया गया है. गोरक्षपीठ में ब्रह्मलीन पूज्य महंतद्वय की पुण्य स्मृति में साप्ताहिक आयोजन भी कृतज्ञता ज्ञापन का ही आयाम है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महंतद्वय समाज, राष्ट्र और लोक जीवन से जुड़े हर मुद्दे पर सनातन धर्म और भारत के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रहे. महंत दिग्विजयनाथ जी ने सनातन धर्म, शिक्षा, सेवा और राष्ट्रीयता के जिन मूल्यों और आदर्शों को स्थापित किया, उन्हें महंत अवेद्यनाथ जी ने आत्मसात कर आगे बढ़ाया. इन मूल्यों और आदर्शों के लिए, देश और धर्म के लिए महंतद्वय आजीवन समर्पित रहे. दोनों ने सदैव देश और धर्म को प्राथमिकता दी. गोरक्षपीठ आज भी उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर रहा है.

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सशक्त राष्ट्र की आधारशिला- सीएम

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभ्य समाज और सशक्त राष्ट्र की आधारशिला माना. महंत दिग्विजयनाथ ने इसी ध्येय से देश की गुलामी के कालखंड में ही 1932 में महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी.

1932 में पहली संस्था खुली और फिर यह श्रृंखला बढ़ती गई. गोरखपुर में जब पहले विश्वविद्यालय की स्थापना की बात आई तो उन्होंने महाराणा प्रताप महाविद्यालय और महाराणा प्रताप महिला विद्यालय दान में देकर विश्वविद्यालय की स्थापना का शुभारंभ कराया. यह कार्य श्रेय के लिए नहीं था. उन्होंने महिला शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, आयुष शिक्षा सहित शिक्षा के हरेक क्षेत्र को आगे बढ़ाया। उनके बाद महंत अवेद्यनाथ जी ने भी इस सिलसिले को जारी रखा.

‘अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने में महंतद्वय का अविस्मरणीय योगदान’

सीएम योगी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय के अविस्मरणीय योगदान का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि श्री उन्होंने कहा कि पितृ पक्ष की तृतीया तिथि को महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज की तथा चतुर्थी तिथि को पूज्य महंत अवेद्यनाथ महाराज की पुण्यतिथि है. मैं इस अवसर पर सभी गोरखपुर वासियों की ओर  से तथा महाराणा प्रताप शिक्षापरिषद् की सभी संस्थाओं की तरफ से देनों पूज्य महाराज जी के श्री चरणों में अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूँ.

राम मंदिर निर्माण के यज्ञ का शुभारंभ महंत दिग्विजयनाथ जी ने किया था. उनके बाद 1983 से लेकर जीवन पर्यंत महंत अवेद्यनाथ मंदिर निर्माण के लिए संघर्षरत रहे.

‘सामाजिक समरसता को आजीवन बढ़ाते रहे महंत अवेद्यनाथ’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी समाज को तोड़ने वाली ताकतों से चिंतित रहे. उन्होंने अश्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई और आजीवन सामाजिक समरसता को बढ़ाते रहे. उन्होंने कहा कि यह पितृपक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का ही पक्ष है इसमें सभी सनातन धर्मावलम्बी अपने पूर्वजो के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं.

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