
इस साल की शुरुआत में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी गई थी, ताकि केन्द्रीय कर्मियों के वेतन और पेंशन को संशोधित किया जा सके. देश के 44 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगी आठवें वेतन आयोग के लागू होने की बड़ी बेसब्री के साथ इंतजार कर रहे हैं. इस साल की शुरुआत में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी गई थी, ताकि केन्द्रीय कर्मियों के वेतन और पेंशन को संशोधित किया जा सके. हालांकि, आठवें वेतन आयोग के गठन के बावजूद आधिकारिक तौर पर इसके ऐलान के लिए अभी केन्द्रीय कर्मियों को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा.
कब से आठवां वेतन आयोग होगा लागू?
दरअसल, आठवें वेतन आयोग की सिफारिश को इस साल यानी 2025 के आखिर तक सरकार के पास भेजे जाने की उम्मीद है. मिंट ने अपनी खबर में एम्बिट इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ये 2026 के जनवरी से लागू किया जा सकता है. हालांकि, वास्तव में आठवां वेतन आयोग कब से लागू किया जाएगा ये इस बार पर निर्भर किया जाता है कि इसकी सिफारिश रिपोर्ट कब तक सरकार को सौंपी जाती है और उसकी मंजूरी कब तक केन्द्र सरकार को तरफ से दी जाती है.ऐसा माना जा रहा है कि इस सिफारिश की मंजूरी के बाद आठवें वेतन आयोग को वित्त वर्ष 2027 में लागू किया जा सकता है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिश के लागू हो जाने के बाद केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में करीब 30 से 34 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है.
कितनी बढ़ेगी सैलरी-पेंशन?
रिपोर्ट में कहा गया है कि केन्द्रीय कर्मचारियों को 30-34 प्रतिशत सेलरी और पेंशन में इजाफे से सरकार के ऊपर करीब 1.80 लाख करोड़ रुपये का अतरिक्त बोझ पड़ेगा. गौरतलब है कि आयोग की सिफारिश के बाद फिटमैंट फैक्टर के हिसाब से वेतन, पेंशन और भत्ते में इजाफा होगा. सबसे खास बात ये है कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन देश के अंदर महंगाई, कर्मचारियों की जरूरतें और सरकार की वित्तीय क्षमता पर निर्भर करता है.
वेतन आयोग की तरफ से केन्द्रीय कर्मियों के सैलरी रिवीजन में महंगाई, देश की अर्थव्यव्सथा के साथ ही आर्थिक असमानता और अन्य चीजों पर भी गौर किया जाता है. साथ ही, बोनस, भत्ते और अन्य उन सुविधाओं की भी समीक्षा होती है, जिन्हें केन्द्रीय कर्मियों को वेतन के साथ दिया जाता है. गौरतलब है कि केन्द्रीय कर्मचारियों की सैलरी की समीक्षा के लिए हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन किया जाता है. सरकार की तरफ से साल 1946 मे वेतन आयोग का गठन किया गया था.