
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मॉरीशस के सर्वोच्च पुरस्कार से नवाजा गया है। यह उन्हें प्राप्त होने वाला 21वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है। इसे उन्होंने मॉरीशस और भारत के लोगों को समर्पित किया है। इस दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ के लिए भारत के महासागर दृष्टिकोण की घोषणा की है। मॉरीशस ने अपने राष्ट्रीय दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार और की ऑफ द इंडियन ओशन” पुरस्कार से नवाजा है। यह मॉरीशस का सर्वोच्च सम्मान है। इस पुरस्कार के साथ ही पीएम मोदी के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों की संख्या 21 हो गई है। पीएम मोदी ने इसके लिए मॉरीशस की सरकार, वहां के लोगों और 140 करोड़ भारतीयों का शुक्रिया अदा किया है।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ की सुरक्षा और विकास के लिए मॉरीशस से भारत के एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण की घोषणा की। यह घोषणा क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के चीन के अथक प्रयासों की पृष्ठभूमि में की गई है। इससे पहले, मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने भारत और मॉरीशस के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों के बीच समुद्री सुरक्षा, राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार और दक्षता विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए आठ समझौते हुए।
ग्लोबल साउथ पर भारत का ‘महासागर’ दृष्टिकोण चीन के लिए झटका
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए भारत का नया दृष्टिकोण – ‘महासागर’ (एमएएचएएसएजीएआर) यानी ‘क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति’ (म्यूचुअल एंड होलिस्टिक एडवांस्मेंट फॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ एक्रॉस रीजन्स) होगा जो विकास एवं सुरक्षा लाएगा। उन्होंने मॉरीशस की अपनी यात्रा के दूसरे और अंतिम दिन कहा, ‘‘ग्लोबल साउथ’ के लिए हमारा दृष्टिकोण होगा – ‘महासागर’ – यानी क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति।’’ ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारा दृष्टिकोण विकास के लिए व्यापार, सतत उन्नति के लिए दक्षता विकास और साझा भविष्य के लिए आपसी सुरक्षा पर केंद्रित है।’’ मोदी ने मॉरीशस को भारत का एक अहम साझेदार बताया। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास- ‘सागर’ की भारत की परिकल्पना की नींव कैसे 10 साल पहले मॉरीशस में रखी गई थी। बता दें कि भारत के इस दृष्टिकोण को चीन के लिए रणनीतिक रूप से बड़ा झटका माना जा रहा है।