क्यों Education Department पर ताला लगाना चाहते हैं ट्रंप? शिक्षा विभाग को खत्म करने को SC से ‘ग्रीन सिग्नल’

अमेरिका की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शिक्षा विभाग को पूरी तरह से खत्म करने की राह में रास्ता साफ कर दिया है।

कोर्ट के रूढ़िवादी जजों ने सोमवार को ट्रंप प्रशासन की अपील को मंजूरी दे दी, जिसके तहत शिक्षा विभाग के 1,400 कर्मचारियों को फिर से काम पर रखने का निचली अदालत का आदेश रद कर दिया गया। इस फैसले ने ट्रंप को शिक्षा विभाग को खत्म करने करने की खुली छूट दे दी है।

हालांकि, कोर्ट के तीन उदारवादी जजों ने इस फैसले का सख्त विरोध किया। जस्टिस सोनिया सोतोमायोर ने अपने असहमति नोट में इसे “बर्दाश्त से बाहर” करार दिया।

जस्टिस सोनिया ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रपति को कानूनों को खत्म करने की ताकत देता है, क्योंकि वह जरूरी कर्मचारियों को हटाकर विभाग को खोखला कर सकता है। उनके साथ जस्टिस एलेना कागन और केतांजी ब्राउन जैक्सन ने भी इस फैसले को संविधान की शक्तियों के बंटवारे के लिए खतरा बताया है।

दो संगठनों ने दी ट्रंप के फैसले को चुनौती
शिक्षा मंत्री लिंडा मैकमोहन ने 11 मार्च को ऐलान किया था कि विभाग अपने आधे कर्मचारियों को हटाएगा। इसके बाद 20 मार्च को ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया।

इस आदेश में मैकमोहन को कानून की इजाजत के दायरे में शिक्षा विभाग को पूरी तरह बंद करने के लिए हर मुमकिन कदम उठाने को कहा गया।

इस कदम को दो मुकदमों में चुनौती दी जा रही है। अव्वल तो डेमोक्रेटिक राज्यों की अगुवाई में और दूसरा मैसाचुसेट्स के स्कूलों और यूनियनों की तरफ से इसका विरोध किया जा रहा है और कोर्ट में चुनौती दी जा रही है।

डेमोक्रेसी फॉरवर्ड की प्रमुख स्काई पेरीमैन ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के जजों ने बिना कोई वजह बताए, अमेरिका के बच्चों को दी गई मुफ्त शिक्षा की गारंटी को भारी नुकसान पहुंचाया है।” न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल कार्यालय ने अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

निचली अदालत का क्या था फैसला?
बॉस्टन की जिला अदालत के जज म्योंग जून ने मई में फैसला सुनाया था कि कर्मचारियों की छंटनी से शिक्षा विभाग लगभग पंगु हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह कदम विभाग को कर्मचारियों को हटाकर, क्षेत्रीय दफ्तरों को बंद करके और कार्यक्रमों को दूसरी एजेंसियों में ट्रांसफर करके खत्म करने की कोशिश है।

जज ने लिखा, “जो विभाग अपने कानूनी काम करने लायक कर्मचारी नहीं रखता, वह विभाग ही नहीं रहता।”

बॉस्टन की पहली सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने जज जून के फैसले को रद करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

यह मामला ट्रंप की उस ताकत को और मज़बूत करता है, जिसके तहत वह कांग्रेस की ओर से बनाए गए संस्थानों, जैसे कंज्यूमर फाइनेंशियल प्रोटेक्शन ब्यूरो, यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट और यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस को खत्म कर सकते हैं।

आखिर शिक्षा विभाग क्यों बंद करना चाहते हैं ट्रंप?
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप ने वादा किया था कि वह सरकार में आते ही शिक्षा का विकेंद्रीकरण करेंगे। ऐसा करने के बाद शिक्षा का जिम्मा केंद्रीय सरकार के पास न होकर राज्यों के हाथों में चली जाएगी। रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता ऐसा करना चाह रहे थे।

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