
महाराष्ट्र के कोल्हापुर की मशहूर मंदिर हथिनी महादेवी (माधुरी) को गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा एनिमल रेस्क्यू सेंटर भेजने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करने का फैसला किया है। हथिनी के स्थानांतरण को लेकर स्थानीय लोग, धार्मिक संस्थाएं और राज्य सरकार भी अलग-अलग पक्ष रख रहे हैं, जिससे मामला संवेदनशील बन गया है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोल्हापुर मंदिर की हथिनी महादेवी को वनतारा भेजने के खिलाफ दायर याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमति दी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हथिनी को जबरन ले जाया गया और वह मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने भी स्थानांतरण के आदेश को सही ठहराया था।
जुलाई में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जैन मंदिर ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें हाई पावर कमेटी के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें हथिनी को वेलफेयर ट्रस्ट में भेजने की सिफारिश की गई थी। अदालत ने कहा था कि हथिनी की सेहत बिगड़ी हुई है और उसके कल्याण को धार्मिक गतिविधियों से ऊपर रखा जाना चाहिए। अदालत ने जल्द से जल्द हथिनी को जामनगर भेजने का निर्देश भी दिया था। हथिनी के स्थानांतरण के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतरकर विरोध कर चुके हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि राज्य सरकार हथिनी को वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। उन्होंने वनतारा टीम से मुलाकात कर भरोसा दिलाया कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाएगा और हथिनी के लिए कोल्हापुर में ही एक पुनर्वास केंद्र बनाने की संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट ने वकील अशोक पांडे की सजा पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने वकील अशोक पांडे को आपराधिक अवमानना मामले में मिली छह महीने की कैद की सजा पर रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांडे को खुले कोर्ट में न्यायाधीशों के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में दोषी ठहराया था। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। कोर्ट ने पांडे को वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया को अपना पक्ष रखने के लिए ब्रीफ करने का निर्देश दिया है, जैसा कि अदालत ने सुझाव दिया।