किसानों की पंजाब सरकार को दो टूक, तीन माह में लागू करें कृषि नीति…

किसानों ने प्रमुख रूप से सभी फसलों पर न्यनूतम समर्थन मूल्य, आढ़तियों को बाहर करके मार्किट कमेटी व एजेंसियों से फसल की सीधी खरीद, कर्जा माफी व 58 वर्ष की आयु के बाद छोटे किसानों के लिए 10 हजार रुपये पेंशन की मांग की है। कृ

पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बुधवार को भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के साथ चंडीगढ़ में बैठक की। इस दौरान यूनियन ने कृषि नीति में शामिल करने के लिए अपने 25 सुझाव दिए।

साथ ही पंजाब सरकार से कहा कि तीन महीने में कृषि नीति लागू की जानी चाहिए, नहीं तो वह आगे आंदोलन का एलान करेंगे। इसमें चंडीगढ़ में दोबारा पक्का मोर्चा लगाने का फैसला भी लिया जा सकता है। साथ ही यूनियन ने 6 नवंबर को सभी जिलों में प्रदर्शन करने का फैसला लिया है।

किसानों ने प्रमुख रूप से सभी फसलों पर न्यनूतम समर्थन मूल्य, आढ़तियों को बाहर करके मार्किट कमेटी व एजेंसियों से फसल की सीधी खरीद, कर्जा माफी व 58 वर्ष की आयु के बाद छोटे किसानों के लिए 10 हजार रुपये पेंशन की मांग की है। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडि्डयां ने बैठक के बाद कहा कि कृषि नीति पर किसानों के सुझाव लेने के लिए ये बैठक की है। पंचायत चुनाव के बाद दोबारा बैठक की जाएगी, जिसके बाद ही किसानों की मांगों को लागू करने के लिए फैसला लिया जाएगा और सहमति वाले मांगों पर को लेकर पत्र जारी किया जाएगा।

यूनियन के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि कृषि नीति में कुछ बातें अच्छी शामिल की गई है, लेकिन जो बातें नहीं है, उसे शामिल करवाने के लिए ही उन्होंने आज ये बैठक की थी। इसमें सभी फसलों पर एमएसपी, फसल की खरीद प्रक्रिया से आढ़तियों को बाहर करके सीधे मार्किट कमेटी व सरकारी एजेंसियों से खरीद करवाने, कर्जा माफी, छोटे किसानों को 58 साल की आयु के बाद 10 हजार रुपये पेंशन देने की मांग की गई है।

इसके अलावा आबादकारों को जमीनों का मालिकाना हक देने, मुआजवा, कर्जा माफी व सब्सिडी के लिए नीति व कानूनी लाने की मांग की है। इसी तरह कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए लैंड बैंक बनाने, कंपनियों का मुनाफा कंट्रोल करने व ऐसी अन्य सिफारिशों को नीति से हटाने की मांग की गई है। इसके अलावा धान का रकबा कम करने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता देने की भी मांग की है।

यूनियन ने कहा कि कॉरपोरेट घरानों से टैक्स लगाकर उसके जुटाए राजस्व का कृषि क्षेत्र में निवेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चिन्हित आत्महत्या पीड़ितों को भी कोई मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण के मामले में पुलिस हस्तक्षेप न करने का वादा लागू नहीं किया गया है। श्रमिकों को काटे प्लॉटों का कब्जा नहीं दिया जा रहा है और न ही कृषि श्रमिकों को सहकारी समितियों का सदस्य बनाकर ऋण दिया जा रहा है।

उगराहां ने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ पिछली बैठक में किसानों पर दर्ज केस वापिस लेने, मुआवजा व अन्य मामलों को पूरा करने का भरोसा दिया गया था, लेकिन अभी तक इस संबंधित अधिसूचना जारी नहीं की गई है। वह इन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को दो सप्ताह दे रहे हैं, जिसके बाद ही आगे प्रदर्शन करना शुरू कर देंगे।

किसानों के खिलाफ दर्ज 25 एफआईआर रद्द
गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि पंजाब सरकार ने पहले ही किसानों के खिलाफ दर्ज 25 एफआईआर रद्द कर दी हैं। उन्होंने किसान यूनियन नेताओं को भरोसा दिया कि बाकी एफआईआर भी जल्द ही रद्द कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कृषि नीति संबंधी किसानों द्वारा दिए गए सुझावों पर गौर से विचार किया जाएगा।

संबंधित अधिकारियों को मनरेगा श्रमिकों की हाजिरी संबंधी मुद्दे को त्वरित हल करने की निर्देश देते हुए कृषि मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को सहकारी बैंकों के ऋण चुकाने में असमर्थ किसानों के लिए एकमुश्त निपटारा (ओटीएस) योजना की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के भी निर्देश दिए। बैठक में स्पेशल डीजीपी (कानून और व्यवस्था) अर्पित शुक्ला, सचिव वित्त दीपर्वा लाकरा, कृषि कमिश्नर मिस नीलिमा, पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक कमिशन के चेयरमैन डॉ. सुखपाल सिंह समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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