
किश्तवाड़ में एक बार फिर से बादल फटने से भारी तबाही हुई। इससे पहले 28 जुलाई 2021 को दच्छन में होंजड़ और चिशोती गांव में बादल फटा था। इससे हॉजड़ गांव पूरा और पाडर के चिशोती गांव सहित कुंडेल मस्सू, लियोंडी आदि में दर्जनों पुल बह गए थे।
भोट नाले में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी। होंजड़ गांव में 45 से अधिक लोगों की जान चली गई थी, कुछ ही लोगों के शव बरामद हुए थे। आधा दर्जन से अधिक लोग घायल भी हुए थे। पूरा गांव बह गया था। पूरे जिले में मातम छा गया था।
आज भी उसी तरह का भयावह मंजर दिखा। देखते-देखते एक हंसता खेलता इलाका मरघट में तब्दील हो गया। 2021 में जब चिशोती में बादल फटा था जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था परंतु उससे एक झील बन गई थी। साथ ही बिजली लाइन पूरी ध्वस्त हो गई थी। पैदल मार्ग पूरा टूट गया था और मचैल यात्रा के लिए अलग से पैदल मार्ग बनाना पड़ा था।
कुंडेल गांव में बड़ा पुल बह गया था और यात्रियों को कुकानद्राव गांव से मचैल यात्रा के लिए जाना पड़ा था। लोगों के खेतों से पवित्र छड़ी को लिया गया था। इस बार काफी अच्छे से यात्रा चल रही थी। अचानक आई इस आसमानी आफत से बहुतेरे लोगों को गहरा सदमा लगा है। पल भर में क्या से क्या हो गया देख वे भौचक हैं। कई लोगों के परिजन इस आपदा की जद में आकर या तो लापता हैं, या फिर उनकी मौत हो गई है। गांव के सारे संपर्क मार्ग पूरी तरह से कट चुके हैं।
क्यों होता है क्लाउड बर्स्ट
छोटे से इलाके में बहुत कम समय में बहुत ज्यादा बारिश होने को बादल फटना कहते हैं।
- मौसम विभाग के मुताबिक, जब अचानक 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे या उससे कम समय में 100mm या उससे ज्यादा बारिश हो जाए तो इसे बादल फटना कहते हैं। कई बार चंद मिनटों में इतनी बारिश हो जाती है। खास बात यह है कि बादल कब फटेगा, इसका पहले से अनुमान लगाना मुश्किल होता है।
- 1 मीटर लंबे और 1 मीटर चौड़े इलाके में 100 लीटर या उससे ज्यादा पानी एक घंटे या इससे कम में बरस जाए, तो समझिए कि उस क्षेत्र में बादल फट गया।
- दूसरे शब्दों में अगर कहें तो जब भी एक वर्ग किमी इलाके में एक घंटे से कम समय में अगर 10 करोड़ लीटर पानी बरस जाए तो तय है कि वहां बादल फट गया।
- बादल फटने की घटना को एक सामान्य उदाहरण से समझते हैं- बादल फटने पर जितना पानी 1 घंटे से भी कम समय में बरसता है उतना पानी करीब 20 लाख लोग एक सप्ताह से अधिक तक इस्तेमाल कर सकते हैं।
- तेज बारिश और बादल फटने में पानी की मात्रा का अंतर है-जब 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे से कम समय में 100 मिमी या इससे ज्यादा बारिश हो जाए तो इसे बादल फटना कहते हैं।
- पानी की मात्रा के अलावा दोनों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि बारिश या तेज बारिश का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, लेकिन बादल फटने का नहीं।
- मानसूनी हवाओं वाले बादल हिमालय से टकराकर धीरे-धीरे भारी मात्रा में जमा हो जाते हैं और एक ऐसा समय आता है कि किसी इलाके के ऊपर छा रहे ये बादल पानी से भरी एक झिल्ली की तरह फट जाते हैं। चूंकि इस तरह की घटना ज्यादातर ऊंचे पहाड़ों पर होती है इसलिए तेजी से पानी नीचे आता है और सुनामी की गति से अपने रास्ते में पड़ने वाली हर चीज को बहा ले जाता है।
- बादल आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में ही फटते हैं। दरअसल हिमालय से टकराकर मानसूनी बादल धीरे-धीरे भारी मात्रा में जमा हो जाते हैं और बादल फटने का माहौल बन जाता है।
- यही वजह है कि अक्सर बादल उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों के हिमालयी पहाड़ों के इलाके में फटते हैं। मैदानों में भी बादल फट सकते हैं मगर इसकी आशंका बहुत न्यून होती है।