जम्मू कश्मीर में क्यों डूबती जा रही कांग्रेस की नैया, विधानसभा चुनाव में सीटें घटकर हो गईं हाफ.

जम्मू कश्मीर में जीत का सेहरा तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के सर पर ही सजा है. उसकी गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है. दोनों दल मिलकर पूर्ण बहुमत हासिल कर चुके हैं, लेकिन वास्तव में जीत का सेहरा तो नेशनल कॉन्फ्रेंस  के सर पर ही सजा है. जम्मू कश्मीर में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है. कांग्रेस ने 39 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 6 सीटें जीत सकी. इसे देखते हुए लगता है कि यदि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस से गठबंधन न किया होता तो भी शायद वह अपने बलबूते सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें हासिल कर लेती. जम्मू कश्मीर विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत है और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीती हैं.

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 56 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे जिनमें से उसके 42 उम्मीदवार जीत गए. यानी उसकी स्ट्राइक रेट 75 प्रतिशत रहा. कांग्रेस ने 39 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे सिर्फ 6 सीटों पर सफलता मिली, उसके 33 प्रत्याशियों को पराजय का सामना करना पड़ा. कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 15 प्रतिशत रहा. दोस्ताना मुकाबले में दोनों को नुकसान इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने राज्य की सात सीटों पर दोस्ताना चुनावी मुकाबला किया. यह विधानसभा सीटें हैं बारामूला, सोपोर, बनिहाल, भद्रवाह, देवसर, डोडा और नगरोटा. कांग्रेस यह सभी मुकाबले हार गई. इन सीत सीटों में से चार सीटों बारामूला, सोपोर, बनिहाल, और देवसर में नेशनल कॉन्फ्रेंस जीती.

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