कनाडा पीएम जस्टिन ट्रुडो की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 23 अक्टूबर को कनाडा में सत्ताधारी लिबरल पार्टी के सांसदों की बैठक हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिबरल नेता के रूप में इस्तीफे की आंतरिक मांग तेज हो गई। 24 सांसदों ने ट्रूडो से लिबरल नेता के पद से इस्तीफा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का भारत पर आरोप लगाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारी मुसीबत में फंस गए हैं। अब बात उनकी कुर्सी पर भी आ गई है। 23 अक्टूबर को कनाडा में सत्ताधारी लिबरल पार्टी के सांसदों की बैठक हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिबरल नेता के रूप में इस्तीफे की आंतरिक मांग तेज हो गई।
बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान, असंतुष्ट सांसदों ने ट्रूडो को अपनी शिकायतें बताईं, जो पार्टी के अंदर के बढ़ते असंतोष को दिखा रही है। यह बैठक साप्ताहिक कॉकस मीटिंग का हिस्सा थी जो हाउस ऑफ कॉमन्स के सत्र के दौरान होती है। बुधवार की बैठक सांसदों के लिए सीधे पीएम ट्रूडो के समक्ष अपनी चिंताओं और निराशाओं को व्यक्त करने का एक मंच थी।
अपनी ही पार्टी में घिरे ट्रुडो
बता दें कि बीते कई महीनों से ट्रूडो भारत के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। हमारे राजनयिकों को निशाना बना रहे हैं और लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजी भी कर रहे हैं। लेकिन अब ट्रुडो अपने ही घर में घिर गए हैं। उनकी अपनी ही पार्टी के तमाम सांसदों ने विद्रोह पैदा कर दिया है। उनकी अपनी ही पार्टी के सांसद उन्हें पीएम पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। इन सांसदों का आरोप है कि अगर ट्रूडो के नाम पर चुनाव लड़ा गया तो वे पार्टी की लुटिया डूबो देंगे।
ट्रूडो को अपनी ही पार्टी के भीतर से बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है, असंतुष्ट लिबरल सांसदों ने उन्हें 28 अक्टूबर तक अपने भविष्य पर फैसला करने को लेकर अल्टीमेटम दिया है।
बुधवार को कॉकस की बैठक के दौरान ट्रूडो के इस्तीफे के मामले को रेखांकित करते हुए एक दस्तावेज प्रस्तुत किया गया, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यदि वह समय सीमा का पालन नहीं करते हैं तो फिर क्या परिणाम होंगे।
24 सांसदों ने किए समझौते पर हस्ताक्षर
सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, रेडियो-कनाडा से बात करते हुए सूत्रों ने बताया कि 24 सांसदों ने ट्रूडो से लिबरल नेता के पद से इस्तीफा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
बैठक के दौरान, ब्रिटिश कोलंबिया के सांसद पैट्रिक वीलर ने एक दस्तावेज पेश किया जिसमें ट्रूडो के इस्तीफे के पक्ष में तर्क दिया गया। दस्तावेज में कहा गया है कि लिबरल पार्टी में उसी तरह का पुनरुत्थान हो सकता है जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा देश में आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए फिर से चुनाव न लड़ने का विकल्प चुनने के बाद डेमोक्रेट्स ने देखा था।
कई सांसदों ने किया ट्रुडो का समर्थन
तीन घंटे तक चली बैठक के दौरान सांसदों को कमरे में बोलने के लिए दो मिनट का समय दिया गया। सूत्रों ने बताया कि करीब 20 सांसदों ने – जिनमें से कोई भी कैबिनेट मंत्री नहीं था – ट्रूडो से अगले चुनाव से पहले पद छोड़ने का आग्रह किया। लेकिन सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार कई सांसदों ने प्रधानमंत्री के समर्थन में आवाज उठाई।
इमीग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने कुछ लिबरल सांसदों की कुंठाओं को स्वीकार किया है तथा उन लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त किया है जिन्होंने सीधे ट्रूडो के समक्ष अपनी चिंताएं व्यक्त कीं।
भारत-कनाडा के बीच रिश्ते तल्ख
कनाडा में ताजा राजनीतिक दरार वास्तव में भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव से प्रेरित है। भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तब खटास आ गई जब ट्रूडो ने पिछले साल कनाडा की संसद में आरोप लगाया कि उनके पास खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने के “विश्वसनीय आरोप” हैं।
भारत ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए इन्हें “बेतुका” और “प्रेरित” बताया है तथा कनाडा पर अपने देश में चरमपंथी और भारत विरोधी तत्वों को जगह देने का आरोप लगाया है।
निज्जर को 2020 में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था और पिछले साल जून में सरे (Surrey) में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।