ओडिशा की माझी सरकार स्वास्थ्य सेवा एवं स्वास्थ्य शिक्षा संस्थानों में डॉक्टरों, छात्रों और चिकित्साकर्मियों के लिए सुरक्षित कार्यस्थल वातावरण प्रदान करने के लिए एक नई नीति लेकर आई है।
कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद कई राज्य डॉक्टरों, छात्रों और चिकित्साकर्मियों को लेकर नीतियां बना रहे हैं। इस कवायद में अब ओडिशा भी शामिल हो गया है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज की महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना के बाद मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली ओडिशा सरकार ने गुरुवार को स्वास्थ्य सेवा और स्वास्थ्य शिक्षा संस्थानों में डॉक्टरों, छात्रों और मेडिकेयर वर्कर्स के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल वातावरण प्रदान करने के लिए एक नई नीति पेश की।
मरीजों के सुरक्षा के लिए खास क्या?
सरकार की ओर से जारी नई नीति में निर्देश दिए गए हैं कि, सभी स्वास्थ्य संस्थानों के चारों ओर दीवार होनी चाहिए, जिससे प्रवेश और निकास की कड़ी निगरानी की जा सके।
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स्वास्थ्य संस्थान परिसर में आम लोगों और वाहनों के प्रवेश को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य संस्थान के सभी कर्मचारियों/श्रमिकों को पहचान पत्र प्रदान किए जाने चाहिए।
जहां लागू हो, वहां ड्रेस कोड का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
अपस्ताल में भर्ती रोगियों के लिए विज़िटर पास प्रणाली का पालन किया जाना चाहिए। हर मरीज की देखभाल के लिए केवल दो प्रवेश पास जारी किए जाएंगे।
वार्ड में प्रवेश करने वाले परिचारकों की सुरक्षा गार्डों द्वारा तलाशी ली जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके पास कोई खतरनाक/आपत्तिजनक वस्तु तो नहीं है।
परिचारकों को वार्ड के बाहर एक चिन्हित वेटिंग एरिया में इंतजार करना होगा। उन्हें केवल चिकित्सा अधीक्षक द्वारा तय किए गए विज़िटिंग घंटों के दौरान ही मरीज़ से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
ओडिशा सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, परिचारकों को जारी किए गए विज़िटिंग कार्ड और अस्पताल/मेडिकल कॉलेज में प्रमुख स्थलों पर विज़िटिंग घंटों का उल्लेख किया जाना चाहिए।
मेडिकल कॉलेज के छात्रों के लिए सुरक्षा के खास इंतजाम-
अस्पताल में गतिविधियों की निगरानी के लिए अस्पतालों के रणनीतिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए।
सभी छात्रावासों, मुख्य द्वारों, सड़कों, गोल चक्करों, सीढ़ियों और परिसर में अन्य रणनीतिक बिंदुओं और छात्रावास के प्रत्येक तल के बाहर सीसीटीवी लगाए जाने चाहिए।
सीसीटीवी फुटेज पर नियमित रूप से नजर रखने के लिए सुरक्षा कर्मियों के लिए 24×7 एक नियंत्रण कक्ष उपलब्ध होना चाहिए, जिसमें कम से कम 3 महीने का स्टोरेज रिकॉर्डिंग बैकअप होना चाहिए।
अच्छी तरह से रोशनी वाले सुरक्षित पार्किंग क्षेत्र, परिसर में पर्याप्त स्ट्रीट लाइटिंग और महिला डॉक्टरों/कर्मचारियों/छात्रों के लिए रात की पाली के लिए एस्कॉर्ट सेवाओं या सुरक्षित परिवहन विकल्पों का प्रावधान किया जाना चाहिए।
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उठाने होंगे ये कदम
सभी वार्डों में पुरुष और महिला डॉक्टरों और नर्सों के लिए डॉक्टर ड्यूटी रूम और वॉशरूम की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
सभी संस्थानों में एक आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना विकसित की जानी चाहिए, जिसमें किसी भी खतरे और आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए पैनिक बटन, आपातकालीन फोन, मोबाइल ऐप आदि शामिल हो सकते हैं।
ओडिशा सरकार ने जारी दिशा-निर्देशों में कहा कि किसी भी समय किसी भी आपात स्थिति या सुरक्षा मुद्दे की रिपोर्ट करने के लिए मुख्य सुरक्षा नियंत्रण कक्ष में एक विशिष्ट फ़ोन नंबर स्थापित किया जा सकता है।
स्वास्थ्य संस्थान को सभी चिकित्सा कर्मचारियों, छात्रों और सुरक्षा कर्मियों को सम्मानजनक कार्यस्थल संस्कृति, अस्पताल सुरक्षा नीतियों, आपात स्थितियों के लिए प्रावधान, सम्मानजनक संचार, समय की पाबंदी और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।
स्वास्थ्य संस्थानों को कार्यस्थल पर तनाव या आघात से निपटने के लिए परामर्श, महिलाओं के आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम और सहकर्मी सहायता समूहों सहित सहायता सेवाएं प्रदान करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
मेडिकल छात्रों के खिलाफ हिंसा की किसी भी घटना की कॉलेज प्रबंधन द्वारा तुरंत जांच की जानी चाहिए और संस्थान के प्रमुख द्वारा छह घंटे के भीतर पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई जानी चाहिए।
हिंसा की किसी भी घटना पर एक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट अनिवार्य रूप से घटना के 48 घंटे के भीतर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को भेजी जानी चाहिए। संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक लोगों को ऐसी गतिविधियों से हतोत्साहित करने के लिए बदमाशों के खिलाफ कानून के अनुसार तत्काल और उचित कार्रवाई करेंगे।