
शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत पानी का इस्तेमाल हथियार के तौर पर कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान सिंधु जल संधि पर रेड लाइन क्रॉस करने नहीं देगा. भारत की ओर से पाकिस्तान पर लिए गए एक्शन से वहां के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तिलमिलाए हुए हैं. ताजिकिस्तान में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शहबाज शरीफ ने सिंधु जल समझौते की तुलना गाजा संकट से कर दी. उन्होंने कहा कि गाजा में हथियारों के इस्तेमाल से जो जख्म दिया जा रहा है उसे दुनिया देख रही है. ऐसा लग रहा है जैसे एक जख्म काफी नहीं था. अब पानी को हथियार के रूप में इस्तेमाल होता देख रहे हैं.
‘सिंधु जल संधि पर रेड लाइन क्रॉस करने नहीं देगा PAK’
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत पानी का इस्तेमाल हथियार के तौर पर कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान सिंधु जल संधि पर रेड लाइन क्रॉस करने नहीं देगा. ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में ग्लेशियरों के संरक्षण पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शहबाज शरीफ ने ये बातें कही है.
शहबाज शरीफ ने कहा, “सिंधु बेसिन के पानी के बंटवारे को नियंत्रित करने वाली सिंधु जल संधि को स्थगित रखने का भारत का एकतरफा और अवैध फैसला चिंताजनक है. राजनीतिक लाभ के लिए लाखों लोगों की जान को बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए. पाकिस्तान ऐसा नहीं होने देगा. हम कभी भी लाल रेखा को पार नहीं होने देंगे.”
‘पानी को हथियार की तरह किया जा रहा इस्तेमाल’
प्रधानमंत्री शहबाज ने कहा, “आज दुनिया गाजा में पारंपरिक हथियारों के इस्तेमाल के ताजा निशान झेल रही है, जिसने गहरे घाव छोड़े हैं. अब पानी को रोक कर एक और खतरनाक हथियार का इस्तेमाल किया जा रहा है.” पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने संधु जल संधि को स्थिगित करने सहित कई कड़े फैसले लिए थे. पाकिस्तानी पीएम ने अपने पूरे भाषण में एक बार भी इस बात का जिक्र नहीं किया कि भारत ने ये सख्त एक्शन क्यों लिया.
कब हुआ था सिंधु जल संधि?
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक समझौता है. यह 1960 में हुआ था. इस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे. इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. संधि का उद्देश्य दोनों देशों के बीच नदियों के जल बंटवारे की शर्तें तय कर विवाद को समाप्त करना था.सिंधु नदी प्रणाली में कुल छह नदियां शामिल हैं, जिनमें तीन पूर्वी नदियां रावी, ब्यास, सतलुज और तीन पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब हैं.
पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा?
इस समझौते के तहत भारत को पूर्वी नदियों का नियंत्रण और उपयोग का अधिकार मिला है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का नियंत्रण मिला है. पाकिस्तान की लगभग 80 प्रतिशत कृषि सिंचाई सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है. सिंधु जल समझौते पर भारत के रोक लगाने से पाकिस्तान में सिंधु नदी में पानी नहीं पहुंच पाएगा, जिससे जल संकट पैदा होगा और इसका सीधा असर वहां की खेती पर पड़ेगा.