
उत्तर प्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही है। ऐसे में एक नाम ऐसा है जो न सिर्फ उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा सुर्खियों में रहा बल्कि उनके नेतृत्व क्षमता से भाजपा को भी समय-समय पर मजबूती मिली। राम मंदिर से लेकर सनातन की ध्वजा लहराई। प्रदेश के हर हिस्से में जाकर पिछड़ों को भी आगे लाईं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा संगठन के अलग-अलग पदों पर रहीं साध्वी निरंजन ज्योति का बुंदेलखंड से गहरा नाता है। उन्होंने देश भर में सनातन धर्म की ध्वजा लहराई। राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तो केंद्रीय मंत्री रहते हुए देश व प्रदेश के हर हिस्से में घूमकर वंचितों, पिछड़ों के साथ अगड़ों को भी अपना बनाने में कामयाब रहीं। साध्वी ऋतंभरा व उमा भारती की करीबी रहीं। मूलरूप से हमीरपुर की साध्वी ने फतेहपुर व कानपुर देहात को कार्यक्षेत्र बनाया।
14 साल की उम्र में संन्यास लिया
उन्होंने 14 साल की उम्र में ही संन्यास ले लिया था। उनकी एक कथावाचक, आध्यात्मिक गुरु और भाजपा राजनेता के रूप में पहचान है। दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के बाद साध्वी निरंजन ज्योति को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा ने जोर पकड़ा है। साध्वी को करीब से जानने के लिए पहले हमीरपुर के सुमेरपुर ब्लाक के पत्योरा के मजरा मलिहाताला से शुरुआत करनी होगी। उनके गांव में खड़ेश्वरी महाराज आते थे, जो यज्ञ व प्रवचन करते थे। साध्वी का वैराग्य उनसे मिलने के बाद 14 वर्ष की आयु में जागा।
कौशांबी और कानपुर देहात से भी नाता
उन्होंने कौशांबी से कक्षा 12 तक की शिक्षा ली और कानपुर देहात के मूसानगर स्थित आश्रम में स्वामी अच्युतानंद से गुरु दीक्षा ली। फिर महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद महाराज से जुड़ीं। साध्वी ऋतंभरा के साथ 1984 में राममंदिर आंदोलन को लेकर गांव-गांव घूमीं।
पहली बार हमीरपुर सदर से जीतीं थी चुनाव
2002 में पहली बार भाजपा के टिकट से हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जीतीं। 2007 में हार गईं। तीसरी बार 2012 में विधायक बनीं। इसके बाद 2014 में वह फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनी गईं व उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया। 2019 में भी सांसद बनीं और केंद्र में मंत्री रहीं, लेकिन 2024 में वह चुनाव हार गईं।
संगठन में लंबा अनुभव
साध्वी का संगठन में भी काम का लंबा अनुभव है। वह प्रदेश मंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। जब नितिन गडकरी पार्टी के अध्यक्ष थे, तब उन्हें राष्ट्रीय कार्यसमिति में बतौर सदस्य मौका मिला था। वर्ष 2019 के अर्द्धकुंभ में उन्हें महामंडलेश्वर बनाया गया। इसके बाद देशभर में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने निकल पड़ीं। निषादों का उन्हें सबसे बड़ा नेता माना जाता है। वह एक सशक्त महिला नेता के रूप में उभरकर सामने आई हैं। उमा भारती के बाद केंद्रीय मंत्री बनने वाली वह दूसरी साध्वी हैं। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत भी उमा भारती के प्रभाव वाले क्षेत्र बुंदेलखंड व धार्मिक-राजनीतिक यात्रा से मिलती-जुलती है।
जानें उनके बारे में
नाम – साध्वी निरंजन ज्योति
शिक्षा : कक्षा 12 उत्तीर्ण
जन्म: 1 मार्च, 1967, सुमेरपुर ब्लाक के पत्योरा का मजरा मलिहाताला गांव, हमीरपुर, उत्तर प्रदेश
माता-पिता: अच्युतानंद और शिव काली देवी।
जाति: निषाद (अन्य पिछड़ा वर्ग)।
आध्यात्मिक पथ: स्वामी अच्युतानंद के मार्गदर्शन में 14 वर्ष की आयु में संन्यास ग्रहण किया।
विधायक: वर्ष 2012 में हमीरपुर (यूपी विधानसभा) का प्रतिनिधित्व किया।
सांसद (लोकसभा): फतेहपुर निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित (2014, 2024 )।
मंत्रिमंडल में स्थान : नवंबर 2014 से मई 2019 केंद्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री का दायित्व दिया गया।
जून 2019 से जून 2021 तक ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री का पद संभाला।
जुलाई 2021 से जून 2024 तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री का कार्यभार संभाला



