आपके दिमाग को खोखला कर सकते हैं अनहेल्दी स्नैक्स

Brain हमारे शरीर का सबसे अहम अंग होता है। यही वजह है कि हेल्दी रहने के लिए ब्रेन का हेल्दी रहना बेहद जरूरी है। हालांकि इन दिनों तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतें लोगों के दिमाग को बीमार बना सकती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे स्नैक्स के बारे में जो ब्रेन के लिए हानिकारक हैं।

स्वस्थ रहने के लिए मुख्य रूप से खानपान का विशेष महत्व है। हम जो खाते हैं, उसका असर हमारे दिमाग, दिल, वेस्ट लाइन और मूड सभी कुछ पर पड़ता है। इतना तो सभी जानते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, नट्स, सीड्स और घर के बनी चीजें खाना कितना जरूरी है। लेकिन जब क्रेविंग होती है, तो हम फटाफट भूख मिटाने वाले स्नैक्स खा लेते हैं, जिससे भूख तुरंत शांत हो जाती है। हालांकि, कुछ ऐसे स्नैक्स होते हैं, जिनका सेवन करना हमारे ब्रेन के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए स्वस्थ ब्रेन के लिए आपको इन स्नैक्स से दूरी बनानी चाहिए।

बेक्ड आइटम
कुकीज, बिस्किट, नमकीन, पाई और लगभग सभी बेक्ड आइटम ट्रांस फैट से भरपूर होते हैं। हार्ट संबंधित बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे के साथ बेक्ड आइटम ब्रेन के लिए बहुत ही नुकसानदायक है। ब्लड में ट्रांस फैट की ज्यादा मात्रा होने पर अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ जाता है।

एस्पर्टेम
ढेर सारे खाने पीने की चीजों में एस्पर्टेम पाया जाता है, जो कि एक आर्टिफिशियल स्वीटनर है। इसके नियमित सेवन से डोपामिन और सेरोटोनिन की मात्रा शरीर में बढ़ जाता है जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन और अन्य न्यूरो संबंधित व्यवहार में बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

प्रोसेस्ड और फास्ट फूड
भूख लगने पर ये एक बेहद आसान सा विकल्प मालूम पड़ते हैं। पैकेट के चिप्स और कोक किसे पसंद नहीं है, लेकिन इन प्रोसेस्ड फूड में मौजूद फैट, शुगर, सॉल्ट मिलकर ऐसे क्रेविंग पैदा करते हैं, जो एक प्रकार का एडिक्शन होता है। इससे माइक्रोवैस्कुलर हेमरेज होने की संभावना बढ़ जाती है, जो ब्रेन के अंदर मौजूद ब्लड वेसल के वॉल को डैमेज कर सकते हैं। इससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

सैचुरेटेड फैट युक्त स्नैक्स
जिन स्नैक्स में सैचुरेटेड फैट अधिक मात्रा में मौजूद होता है, उनमें ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा हुआ पाया जाता है और साइनेप्स के बीच प्लास्टिसिटी कम हो जाती है। इस तरह की हाई फैट डाइट से एक्सपेरिमेंटल ब्रेन इंजरी की संभावना बढ़ जाती है।

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