![](https://harkhabarnews.com/wp-content/uploads/2025/01/SUPREME-COURT-780x470.avif)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (17 जनवरी) को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि तालाबों और झीलों के संरक्षण पर उसके आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है.सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (17 जनवरी) को उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि तालाबों और झीलों के संरक्षण के लिए दिए गए उसके आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि अतिक्रमण की वजह से कारण हो चुके जलाशयों को बहाल करना राज्य सरकार का कर्तव्य है. इससे ये साफ हो गया कि जल निकायों की रक्षा और पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार पर डाली जा चुकी है.
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जुलाई को एक आदेश जारी किया था जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को पर्यावरण मंत्रालय के सचिव के नेतृत्व में एक समिति बनाने का निर्देश दिया था. इस समिति में राजस्व विभाग, पर्यावरण विभाग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सीनियर अधिकारी शामिल होने थे ताकि जलाशयों पर हो रहे अतिक्रमण की शिकायतों की जांच की जा सके. विशेषकर बिजनौर जिले में जल निकायों पर अतिक्रमण के मामलों पर ध्यान देने के लिए ये समिति बनाई जानी थी. हालांकि राज्य सरकार ने अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया जिस पर अदालत ने गहरी नाराजगी जताई.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उठाए कड़े सवाल
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस मुद्दे पर गंभीर टिप्पणी की और पर्यावरण विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि वे 24 जनवरी तक व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल करें. इस हलफनामे में ये बताना होगा कि 16 जुलाई के आदेश के बाद राज्य सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाए हैं और अब तक क्या कार्रवाई की गई है. पीठ ने पूछा “उत्तर प्रदेश सरकार क्या कर रही है? हमारे आदेश का अनुपालन कहां हो रहा है?”
27 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में लुप्त हो चुकी सभी झीलों की पहचान करनी चाहिए और उनका जीर्णोद्धार करना चाहिए. अदालत ने इस मामले में मिर्जा आबिद बेग की याचिका को 27 जनवरी के लिए सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. ये मामला जलाशयों के संरक्षण और उनके जीर्णोद्धार से जुड़ा हुआ है जो पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है.